For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेवर देखे ठंड के , थर-थर काँपे गाँव ।
सभी तलाशे धूप को , सूनी लगती छाँव ।।

यार बढ़े हैं आज तो , ठंडक के वो भाव ।
बस्ती के हर मोड़ पर , सुलगे देख अलाव ।।

बदला मौसम ने ज़रा , देखो अपना रूप ।
कितनी प्यारी लग रही , जाड़े की ये धूप ।।

अदरक वाली चाय से , होती सबकी भोर ।
बच्चों का भी शाम से , थम जाता है शोर ।।

किट-किट करते दाँत हैं , काँप रहे हैं हाथ ।
गर्मी लाने के लिये , गर्म चाय का साथ ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 962

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2017 at 1:19pm

वाह वाह बहुत उम्दा दोहे हुए आद० मोहम्मद आरिफ जी ...और कांपते हुए ही पढ़ रही हूँ :))))))))

Comment by somesh kumar on December 12, 2017 at 9:59am

मौसम ने करवट ली ,बढ़े ठंड के भाव 

दोहें आपके पढ़ हमें ,पास लगा अलाव 

बहेतर सर्दी फ़ैलाने वाले दोहों के लिए बधाई |

Comment by Mohammed Arif on December 12, 2017 at 7:50am

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय नादिर खान साहब ।

Comment by Mohammed Arif on December 12, 2017 at 7:49am

आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आपकी दाद-ओ-तहसीन का बहुत-बहुत शुक्रिया । मेरा लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:17pm

जनाब मोहम्मद आरिफ साहब ठण्ड का एहसास कराते सुन्दर दोहे कहे आपने, ढेरों मुबारकबाद आपको ...

Comment by Samar kabeer on December 11, 2017 at 2:30pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,जाड़े के मौसम पर बढ़िया दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

पहले दोहे की दूसरी पंक्ति में 'तलाशे' को "तलाशें" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service