For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल (पहले ये बतला दो उसने छुप कर तीर चलाए तो)- गुरप्रीत सिंह

लाख करे कोशिश सोने की फ़िर भी नींद न आए तो।
एक अधूरा ख़्वाब किसी को सारी रात जगाए तो ।

तुम तो हौले से 'ना' कह के अपने रस्ते चल दोगे,
लेकिन किसी का अम्बर टूटे और धरती फट जाए तो ।

हाँ मैं तेरे ज़ुल्म के बारे में न ज़ुबाँ से बोलूँगा,
पर क्या होगा गर महफ़िल में आँख मेरी भर आए तो ।

फ़िर बतलाना सीने ऊपर वार बचाना है कैसे,
पहले ये बतला दो उसने छुप कर तीर चलाए तो ।

वो गर नज़रों से ही छू ले तो दिल धक धक करने लगे,
जाने क्या हो गर वो सचमुच आकर हाथ लगाए तो ।

वो अँगड़ाई ले के उठे तो कुदरत जागे सुब्ह चले,
पंछी लौट घरों को आएं वो ज़ुल्फ़ें बिखराए तो ।

रूह की प्यास बुझा लेंगे, सुन लेंगे तेरी ग़ज़लें भी,
पहले कोई आए पापी पेट की आग बुझाए तो ।

जनता भी हनुमान जी जैसे अपनी ताकत भूल चुकी,
फ़िर से ख़ुद को पहचानेगी कोई स्मर्ण कराए तो ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on November 6, 2017 at 11:09am

आदरणीय गुरप्रीत जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.

आर्कन के एक ही होने से बहर के बारे में भ्रान्ति होना स्वाभाविक है. मैंने एक आलेख में तरही की बहर और बहरे-मीर का अंतर स्पष्ट करने की कोशिश की है. आप 'ग़ज़ल कि बातें' में देख सकते हैं :

http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

सादर 

Comment by Samar kabeer on November 5, 2017 at 8:39pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकारकरें ।
कुछ अशआर में शिल्प की कमज़ोरी साफ़ नज़र आ रही है,उस पर क़ाबू पाने की ज़रूरत है,मसलन दूसरे शैर का सानी मिसरा, तीसरे शैर का ऊला मिसरा, गिरह का मिसरा, आख़री शैर का ऊला मिसरा ।
Comment by Afroz 'sahr' on November 3, 2017 at 11:45am
आदरणीय गुर प्रीत जी मेंरे कहे को मान देने के लिए आपका मश्कूर हूँ। पाँचवे शेर का ऊला मिसरा बह्र में है । इस ग़लत फ़हमी के लिए मआज़रत का तालिब,सादर
Comment by Gurpreet Singh jammu on November 3, 2017 at 9:22am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ..ग़ज़ल की सराहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ... दरअसल डेंगू बुखार ने कई दिन तंग करके रखा, इसलिए मंच पर उपस्थित नहीं हो सका .
Comment by Gurpreet Singh jammu on November 3, 2017 at 9:19am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बृजेश जी
Comment by Gurpreet Singh jammu on November 3, 2017 at 9:18am
शुक्रिया आदरणीय अफ़रोज़ जी ....तरही मुशायरे की टिप्पणियाँ पढीं तो पता चला कि ये बहरे-मीर नहीं है। अब दूसरे शेर का सानी दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ. पाँचवें शेर का ऊला मिसरा क्यों बह्र में नहीं है, ये समझ नहीं पाया. क्रुप्या इस के बारे में थोड़ा समझाएं ... धन्यवाद
Comment by Mohammed Arif on November 3, 2017 at 8:08am
रूह की प्यास बुझा लेंगे, सुन लेंगे तेरी ग़ज़लें भी,
पहले कोई आए पापी पेट की आग बुझाए तो । वाह! वाह!! बहुत ख़ूब !
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय गुरप्रीत जी । बहुत दिनों के बाद हुज़ूर का आना हुआ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 2, 2017 at 9:43pm
बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादर
Comment by Afroz 'sahr' on November 2, 2017 at 8:01pm
आडदरणीय गुरप्रीत जीइस रचना पर बधाई आपको।
दूसरे शेर का सानी मिसरा ,पाँचवे शेर का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है देखिएगा,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service