For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा - क़लम की ताक़त –

लघुकथा - क़लम की ताक़त –

 देश के मशहूर लेखक श्रीधर को सरकार की ओर से कुछ विशेष लेखन कार्य हेतु निमंत्रण पत्र आया। चूँकि सरकारी मामला था अतः श्रीधर उसकी अवहेलना नहीं कर सके और दरबार में हाज़िर हो गये।

सरकार के प्रधान ने श्रीधर से एकांत में चर्चा की,

"श्रीधर जी, हम चाहते हैं कि देश के समस्त नामचींन समाचार पत्र और  पत्रिकाओं में आप हमारे बारे में लिखें। हमारी उपलब्धियों का बखान करें"।

"सर जी, यह तो बहुत मामूली कार्य है। इसे तो कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा पत्रकार कर देगा"।

"लेकिन हम यह कार्य आपसे ही करवाना चाहते हैं"।

"सर जी, इसकी कोई खास वज़ह"?

"हाँ, इसके पीछे बहुत बड़ी वज़ह है"।

“सर जी, आप अपनी बात ज़रा खुल कर बतायें तो बेहतर होगा"?

“श्रीधर जी,  इसके पीछे दो कारण हैं। एक तो यह कि आप की लेखनी की तेज़ धार आम आदमी में ऐसी छाप छोड़ चुकी है कि वह इसे ब्रह्मवाक्य मानता है| दूसरी वज़ह यह कि हम आपको आपकी  क़ाबिलियत के लिये पुरुस्कृत करना चाहते हैं"।

"सर जी, मेरी लेखनी से सच्चाई लिखी जायेगी और वह आपके पक्ष में नहीं जायेगी"।

"श्रीधर जी, आपको कोई कष्ट नहीं करना। हम आपको लिखित सामग्री उपलब्ध करायेंगे। बस आप उसे अपने नाम से छपवायेंगे। उसके बदले आपको मुँह माँगी उपाधियाँ,धन दौलत, सुख सुविधांयें दी जांयेंगी"।

"यानी कि आप मेरी क़लम को खरीदना चाहते हैं"।

"अब आप सही समझे"।

"मान्यवर, यह भूल कभी मत कीजिये। जिस दिन क़लम की ताक़त को गिरवी रख लिया जायेगा उस दिन यह देश रसातल में चला जायेगा"।

"श्रीमान जी, आप देश की चिंता छोड़िये।आज के बाद आप का क्या होगा, यह सोचिये"?

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 28, 2017 at 7:08pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 28, 2017 at 2:36pm

वाह वाह  क्या सुन्दर कथा हुयी है , बेहतरीन

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 8:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

Comment by Nita Kasar on October 27, 2017 at 7:36pm
क़लम की ताक़त सल्तनत पलटने का दम रखती है ना ही इसे ख़रीदा ज़ा सकता है ना धमकाया जा सकता है उम्दा कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:20am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।आपकी राय से मैं सौ फ़ीसदी सहमत हूँ।आपने जितनी गहराई से  आज के माहौल का खाका वह खींचा है वह विचारों को आंदोलित करने वाला और प्रेरणा दायक है।इससे मेरी लघुकथा की सोच को और बल मिलता है।पुनः आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:13am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:12am

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।जब तक आपकी टिप्पणी नहीं आती, मुझे मेरी मेहनत अधूरी सी लगती है।पुनः आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:09am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी  जी।आपकी विस्तृत विवेचना से मैं अभिभूत हो गया।मेरा प्रयास होगा कि कुछ और अच्छा अंत करूं।पुनः आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:06am

हार्दिक आभार आदरणीय नीलेश शेवगाँवकर जी।आपकी सोच से मैं काफी हद तक सहमत हूँ।मगर अब तो तीर कमान से निकल चुका है।फ़िर भी मैं कोशिश करूंगा कोई सुधार करने की, यदि संभव हुआ तो।पुनः आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2017 at 9:01am

हार्दिक आभार आदरणीय सलीम राज़ा रेवा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
10 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service