For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी रौशनी से टकराकर
बोल निशा तेरी चौखट पर
दीप जला क्या ?

प्रश्न पूछतीं तेरी भूरी-भूरी आँखे भोली-भाली,
क्या उत्तर दूँ क्या समझेगी
किसने घोली तेरे हर दिन में उगने से पहले ही
इन रातों जैसी स्याही काली...

सिर्फ़ ज़रूरी बात यही है-
तेरी पलकों में जुगनू बन
स्वप्न पला क्या ?

जटा-जटा बन छितर-बितर ये बाल धूल से मैले-मैले
नन्हे हाथों से पीछे कर
बीन-बान कर दीप, माँग कर इधर-उधर से थोड़ी उतरन
भर लाई घर कितने थैले...

मुट्ठी में भींची दौलत से
होठों पर मुस्कान सजाकर
दर्द टला क्या ?

भूखे दिन भूखी रातों ने कब माँगी है दूध-मिठाई
धुआँ-धुआँ पकती खिचड़ी ने
काली कर दीं छत दीवारें और खाँसती खटिया भी
तिस पर माँगे हर वक़्त दवाई...

"आँखें मूँद जिये जाना" अब
तुझे सिखा दी जीवन ने भी
यही कला क्या ?

देख पटाखों की पट-पट और झिलमिल-झिलमिल जलती लड़ियाँ
मन तेरा तो मचला होगा
पर माँगी क्या तूने मालिक से छू लेने भर को ही बस
थोड़ी सी झिलमिल फुलझड़ियाँ...

फिर अन्धेरी दीवाली पर
तू भीतर-भीतर चिल्लाई
रूँध गला क्या ?

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 16, 2018 at 5:43pm

"आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी 

इस गीत की मात्रा 8x8 और 8x8x8 के खण्डों में है.. आप पूरे वाक्यों की मात्रा देखिये पूर्ण विराम आने तक , सिर्फ अल्पविराम तक नहीं...
आपको मात्रा 8  या 16 या 24 मिलेगी एक  निश्चित आवृति में ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 19, 2018 at 3:45pm

इन रातों जैसी स्याही काली....................
2    2 2  2 2   2 2   2 2 ...............................18
सिर्फ़ ज़रूरी बात यही है-
तेरी पलकों में जुगनू बन
स्वप्न पला क्या ?

जटा-जटा बन छितर-बितर ये बाल धूल से मैले-मैले
नन्हे हाथों से पीछे कर
बीन-बान कर दीप, माँग कर इधर-उधर से थोड़ी उतरन
भर लाई घर कितने थैले...

2   2 2    2  22    22 ........................16  आदरणीया प्राची जी यहाँ मात्राओं के बारे में अस्मंजस में हूँ ....कृपया मार्गदर्शन करने का कष्ट करें सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 22, 2017 at 8:54pm

झाड़खंड में एक बालिका मर गयी कहते भात भात
कहीं कोई सिसकी ठहरी न
लीपा पोती करने में सब और भला करते ही क्या?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:50am

दीन-हीन की रात अँधेरी,  पूछ रहे हम, दीप जला क्या ? स्वप्न पला क्या ? बहुत मार्मिक और सार्थक गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई बहन डॉ. प्राची जी | दीपोत्सव पर्व की हार्दिक बधाई !

Comment by Mahendra Kumar on October 22, 2017 at 10:27am

आ. प्राची जी, दिवाली पर मैं ऐसी ही रचना की तलाश कर रहा था. इस शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by indravidyavachaspatitiwari on October 20, 2017 at 7:27pm

दीपावली के त्योहार पर एक प्लास्टिक बीनने वाली लड़की केा माध्यम बनाकर उस गरीब वर्ग का दर्द उकेरने के लिए हार्दिक बधाई। बहुत हृदयग्राही रचना बनी है।

Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 3:24pm
आ. प्राची जी.
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 3:49pm
प्रश्नवाचक पंक्तियों में मार्मिक भाव पिरोते हुए वर्ग विशेष के जीवन और पर्वों के समय का सच्चा चित्रण करती विचारोत्तेजक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया डॉ. प्राची जी। दीपोत्सव पर काश हम ऐसे सवालों का सही जवाब समाधान रूप में देने का प्रण करें। दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service