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ग़ज़ल: बलराम धाकड़

1222-1222-1222-1222

जनम होगा तो क्या होगा मरण होगा तो क्या होगा
तिमिर से जब भरा अंतःकरण होगा तो क्या होगा

हरिक घर से यूँ सीता का हरण होगा तो क्या होगा
फिर उसपे राम का वो आचरण होगा तो क्या होगा

मेरे अहले वतन सोचो जो रण होगा तो क्या होगा
महामारी का फिर जब संक्रमण होगा तो क्या होगा

वो ही ख़ैरात बांटेंगे वो ही एहसां जताएंगे
विमानों से निज़ामों का भ्रमण होगा तो क्या होगा

जमा साहस है सदियों से हमारी देह में अबतक
नसों में रक्त का जब संचरण होगा तो क्या होगा

अहिंसा और सत्याग्रह से जो विजयी हुआ जग में
उसी गाँधी का गोली से मरण होगा तो क्या होगा

परिस्थितियाँ विकट द्वापर से कलियुग में उपस्थित हैं
धरा पर कृष्ण का अब अवतरण होगा तो क्या होगा

फ़िरौती देके बच्चे कम-से-कम घर लौट आते हैं
जब अपनी अस्मिता का अपहरण होगा तो क्या होगा

विचारों में नपुंसकता भरे जाने के अपराधी
अगर इतिहास में ये उद्धरण होगा तो क्या होगा

हम ऐसे आलसी और तुम वही उपभोक्तावादी
हमारे दुर्गुणों का संकरण होगा तो क्या होगा

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Balram Dhakar on October 14, 2017 at 4:40pm
धन्यवाद आदरणीय शेख़ शहज़ाद सा०।
सादर।
Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2017 at 12:38pm
वाह वाह भाई बलराम धाकड़ जी क्या खूब ग़ज़ल कही है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

गांधी वाले मिसरे में यदि गोली के स्थान पर हिंसा रखें तो कैसा हो जरा विचारियेगा। जनम जन्म का तद्भव है मेरे हिसाब से सही है। बाकी अन्य सुधीजनों की जो राय हो।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 13, 2017 at 7:04am

आ. बलराम जी,
हिन्दी ग़ज़ल का उम्दा प्रयास हुआ है... मतले में शुद्ध शब्द है जन्म (२१) अत: इसे ठीक कर लें. 
बाक़ी बहुत तीख़ी मिर्ची शकर में  डुबा के परोसी है आपने ..बहुत बधाई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 12, 2017 at 10:40pm
वाह, बेहतरीन व्यंग्यात्मक कटाक्षपूर्ण अशआर। बहुत बढ़िया हिन्दी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम धाकड़ जी।
Comment by Balram Dhakar on October 12, 2017 at 9:00pm
धन्यवाद, आदरणीय समर सर। ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Samar kabeer on October 12, 2017 at 5:19pm
जनाब बलराम जी आदाब,हिन्दी शब्दों में बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मंच के नियमानुसार ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे आपने ?

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