For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....धीरे धीरे रीत गया - बृजेश कुमार 'ब्रज'

22 22 22 22 22 22 22 2
यादों के गलियारे होकर जब मैं आज अतीत गया
लाख सँभाला आँखों ने पर धीरे धीरे रीत गया

नाम पुकारा कुछ ने मेरा कुछ के अश्क़ छलक आये
कुछ तस्वीरें मुस्काईं तो गूँज कहीं संगीत गया

ख्वाब सुहाने कुछ बचपन के टूट गये कुछ रूठ गये
कैसे जी को समझाऊँ मैं क्या गुजरी क्या बीत गया

ऐसा क्या माँगा था उनसे ऐसी क्या मज़बूरी थी
बीच भँवर क्यों हाथ छुड़ाकर बेदर्दी मनमीत गया

खेल रचा क्या भावों का हाथों की चन्द लकीरों ने
हार गया 'ब्रज' हर लम्हा वो बाज़ी हर इक जीत गया
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1037

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 25, 2017 at 12:22pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय नंदकिशोर जी..सादर
Comment by नन्दकिशोर दुबे on September 24, 2017 at 10:49am
बहुत ही मनहर रचना जी ।ब्रजेश भाई बधाई।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 20, 2017 at 11:33pm
आदरणीय गिरिराज जी सादर प्रणाम..आपकी टिप्पड़ी से शंकाओं के बदल छट गए हैं..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 20, 2017 at 11:29pm
आदरणीय महेंद्र जी हौसलाफजाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया..सच कहूँ तो मुझे मतला ही सबसे अच्छा लग रहा है।आपका इशारा और बेहतर को लेकर है या कोई लय को लेकर कोई कमी है?अगर कोई खूबसूरत सुझाव देंगे तो मुझे ख़ुशी होगी।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 8:16pm

आ. बृजेश भाई , मुस्काई लफ्ज़ मेरे खयाल से सही है ... कविता और गीत के अलावा  '' रेख्ता'' मे भी शेर मे यह उपयोग हुआ है .  मेरे खयाल से मुक्सुराई और मुस्काई दोनो मान्य हैं । लेकिन  अंतिम फैसला तो शायर खुद ही करता है

Comment by Mahendra Kumar on September 20, 2017 at 6:56pm

आ. बृजेश जी अच्छी ग़ज़ल कही है आपने किन्तु मतले को एक बार और देखने की आवश्यकता है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2017 at 7:42pm
आदरणीय नीलेश जी आपकी उपस्थिति स्वागतयोग्य है..आम बोल चाल में हम इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं..इसके अलावा मैंने कई बार पढ़ा भी है।
सोहन लाल द्विवेदी जी की बाल कविता उठो लाल अब आँखें खोलो में
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की कविता धीरे धीरे हँस कर आईं में
क्या गले लगाना है बढ़कर,
क्या अलख जगाना अड़-अड़कर,
क्या लहराना है झड़-झड़कर,
जैसे तुम कहकर मुस्काईं।
मैं तो अभी अल्पज्ञ हूँ..आगे आप बड़ों की सलाह की प्रतीक्षा में..सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 18, 2017 at 11:52am

आ. बृजेश जी,
अच्छी भावपूर्ण   ग़ज़ल हुई  है ...
मुस्काई सही चयन  नहीं है ..मुस्कुराई होना चाहिये ..मुस्कान , मुस्कुराना , मुस्कुराहट को मुस्काना या   मुसकाहट    नहीं कहना    चाहिए .
बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 17, 2017 at 8:54pm
हार्दिक आभार आदरणीय नीरज कुमार जी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 17, 2017 at 8:51pm
लिखना सफल हुआ आपकी टिप्पड़ी से आदरणीय गिरिराज जी..सादर प्रणाम

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service