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रहमतों से फ़ासला हो जाएगा

मत कहो हमसे जुदा हो जाएगा ।
वह मुहब्बत में फ़ना हो जाएगा ।।


इश्क के इस दौर में दिल आपका ।
एक दिन मेरा पता हो जाएगा ।।

धड़कनो के दरमियाँ है जिंदगी ।
धड़कनो का सिलसिला हो जाएगा ।।

इस तरह उसने निभाई है कसम ।
वह हमारा देवता हो जाएगा ।।

ऐ दिले नादां न कर मजबूर तू ।
वो मेरी ज़िद पर ख़फ़ा होजाएगा ।।

पत्थरो को फेंक कर तुम देख लो ।
आब का ये कद बड़ा हो जाएगा ।।

मत निकलिए इस तरह बे पैरहन ।
फिर चमन में हादसा हो जाएगा ।।

अब अना से बढ़ रहीं नज़दीकियां ।
रहमतों से फ़ासला हो जाएगा ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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Comment by SALIM RAZA REWA on September 10, 2017 at 10:28pm
भाई नवीन जी ग़ज़ल के लिए बधाई,
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 11:02pm
आ0 कबीर सर कुँअर बेचैन जी ने एक शेर में पत्थर फेंकने से पानी की ऊँचाई बढ़ने का जिक्र किया है । फिर भी मैं आपकी बात को मान लेता हूँ । नमन।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 10:58pm
आ0 कबीर सर नमन ।ठीक करता हूँ सर ।
Comment by Samar kabeer on September 7, 2017 at 10:53pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'पत्थरों को फेंक कर तुम देख लो
आब का ये क़द बड़ा हो जायेगा'
ये शैर तार्किकता के हिसाब से ठीक नहीं,एक तो ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर'फेंक कर'और दूसरी बात ये कि "क़द"ऊँचाई को कहते हैं,फैलाव को नहीं,इस शैर को या तो हटा दें या दूसरे तरीक़े से कहें ।
'मत निकलये इस तरह बे पैरहन'
यानी वो निर्वस्त्र निकल रहा है?
इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
'मत निकलना आप घर से बेनिक़ाब'
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 8:42pm
आ0 राज नवादवी साहब हार्दिक आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 8:41pm
आ0 मो0 आरिफ साहब तहेदिल से शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 2:13pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by राज़ नवादवी on September 7, 2017 at 12:12pm

आदरणीय नवीन मणि जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है, मुबारकबाद क़ुबूल करें. 

पत्थरो को फेंक कर तुम देख लो ।
आब का ये कद बड़ा हो जाएगा ।।

मत निकलिए इस तरह बे पैरहन ।
फिर चमन में हादसा हो जाएगा ।।

बहुत खूब, सादर 

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