For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा उलझन दाखिले की

३ साल की बेटी के नर्सरी क्लास के दाखिले के लिए जाने माने दो स्कूलों  में एडमीशन टेस्ट दिलवाए थे | सोचा ढेरों बच्चों में पास भी होगी कि नहीं| नाम पूछने पर कुछ बताया नहीं और कुछ सुनाया भी नहीं| एक चौकलेट दी गई | बिटिया ने खोल कर वहीँ खा ली और हाथ में रेपर दिखाकर वहीँ बैठी नन से पूछा, आपकी डस्ट बिन कहाँ है और बाहर चली गयी |आज जब रिज़ल्ट देखा तो दोनों स्कूल की लिस्ट में नाम था | किसमें दाखिला लें---- इस पर हम माता पिता सहमत ही नहीं हो पा रहे थे |मां का दिल कहता पास के स्कूल में डालें, आने जाने में कोई परेशानी नहीं, स्कूटी से हो जायेगा |कोई बात हुई तो तुरंत जाकर देख सकते हैं |अभी आठवीं तक है तो क्या—हर साल क्लास बढाते जा रहें हैं| आगे जाकर इंटर तक हो ही जाएगा|अभी ही इतने बच्चों में पास हो गई तो अनुमान है आगे भी निकलती जायेगी| पिता का दिल कहता नामी गिरामी स्कूल में दाखिला हो गया है तो उसी में मेरी बच्ची जायेगी |दूर है तो स्कूल बस से सवेरे जायेगी, इंटर तक का प्रतिष्ठित स्कूल है ,लोग उसमें अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना देखते है, महंगा है तो क्या, एक ही बेटी है हमारी |घुड़सवारी ,तैरना ,खेलकूद, अच्छी टीचर| क्या नहीं है वहां |

         अच्छा हम लोग अपने दिल की बातें छोड़ कर लाभ हानि के सारे बिन्दुओं को सान्झा कर लेते हैं जिसमें लाभ ज्यादा होगा उसमें भेज देंगे -------

मां ---पास में है ,आना-जाना आसान ,टीचर पर बच्चों का बोझ कम याने ज्यादा अच्छी देखभाल, कम खर्चा, समय की बचत, को-ऐड यानि सहसिक्षा का लाभ भी बेटी को मिलेगा|

पिता---स्कूल की पढ़ाई के साथ हर क्षेत्र में बढ़ने के अवसर, इंटर तक के लिए निश्चिंती, समय व खर्च अधिक, केवल लड़कियों का ही स्कूल होने से कोई लफडा व झंझट नहीं |

“देखिये सहशिक्षा बच्चों के लिए अनिवार्य होनी ही चाहिए| बच्चों के स्वस्थ जीवन का ये अभिन्न अंग है| बाक़ी अन्य बिन्दुओं को देखते हुए भी हम पास वाले स्कूल में दाखिला ले सकते हैं |”

“भई वाह, मान गए तुम्हारे दिल और दिमाग के संतुलन को”

मौलिक व अप्रकाशित 

  

 

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prabhakar on August 28, 2017 at 9:35pm

आदरणीय मनीषा जी, लघुकथा 'उलझन दाखिले की' थोड़ी उलझी हुई लग रही है । / ३ साल की बेटी के नर्सरी क्लास के दाखिले के लिए/ यहां पर बेटी की उम्र बताने की कोई आवश्‍यकता नहीं थ्‍ाी क्‍योंकि नर्सरी कक्षा के लिए आमतौर पर अढार्इ से तीन-साढ़े तीन वर्ष उम्र ही होती है । लघुकथा में कसावट के लिए कहा जाता है कि लघुकथा में कुछ अनावश्‍यक नहीं चाहिए। अब यहां 'अनावश्‍यक' समझना जरूरी है। अनावश्‍यक का अर्थ ये भी लिया जा सकता है कि जो बिन्‍दु क्‍लीयर हैं या अंडरस्‍टुडएबल हैं उन्‍हें ना लिखा जाए ा और कथ्‍यों या भावों में दोहराव न हो। या जिस कथ्‍य या शब्‍दों के बगैर लघुकथा के प्रभाव में कोई फर्क न पडता हो उन्‍हें ना लिखा जाए। यानि लघुकथा में से कुछ भी माइनस न किया जा सके और न ही कुछ एड किया जा सके । अापकी लघुकथा की शुरूआत तो बहुत सधे हुए ढंग से हुई थी परन्‍तु अंत तक आते आते लघुकथा कुछ बिखर सी गई और उपदेशात्‍मक हो गई । लघुकथा के कथ्‍य का उपदेशात्‍मक प्रवृति से रहित होना इस विधा की एक विशिष्‍ट विशिष्‍टता होती है । सादर

Comment by pratibha pande on August 22, 2017 at 8:56am

दाखिले की समस्या से जूझ  रहे अभिभावकों को केंद्र में रख कही गई सुन्दर कथा ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया मनीषा जी 

Comment by Manisha Saxena on August 22, 2017 at 6:31am

आ. उमानी जी आपकी बताई गयी दोनों बातें ज़रूर ध्यान रखूंगी| आप गुणीजन के मार्गदर्शन में सीख रही हूँ |धन्यवाद |

Comment by Manisha Saxena on August 22, 2017 at 6:27am

मुझे भी लगा था आ. आरिफ जी .कोशिश ज़ारी है |आभार |

Comment by Manisha Saxena on August 22, 2017 at 6:24am

समरजी आप से मैं पूरी तरह सहमत हूँ ,मेरी कोशिश आरी है ,सीख रही हूँ |

Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 10:09pm
मोहतरमा मनीषा सक्सेना जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
लघुकथा की इससे बहतर परिभाषा नहीं हो सकती कि ये विधा 'गागर में सागर' भरने जितनी मुश्किल है,ज़रा भी बात को आगे बढ़ाया कि लघुकथा कहानी बन जाती है,कम शब्दों में बात कहना इसमें बड़ा हुनर माना गया है ।
Comment by Mohammed Arif on August 20, 2017 at 7:47am
आदरणीया मनीषा सक्सेना जी आदाब, नवीन शैक्षिक सत्र में प्रवेश के अनुभव को प्रदर्शित करती बढ़िया लघुकथा । थोड़ा लंबान अखरता है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 19, 2017 at 6:46pm
नवीन शिक्षा सत्र के दौरान प्रवेश संबंधी आम अनुभव पर आधारित बढ़िया रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। सब कुछ बताने में कुछ अधिक विवरण हो जाता है, जिससे हमें बचना चाहिए। अंत में महत्वपूर्ण संवाद //देखिए सहशिक्षा बच्चों...// किसने कहा, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए था। सहशिक्षा के महत्व पर बढ़िया रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service