For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212  212  212  212

सज सँवर अंजुमन में वो गर जाएँगे I
नूर परियों के चेहरे   उतर जाएँगे II

जाँ निसार अपनी  है तो उन्हीं पे सदा ,
वो कहेंगे जिधर  हम उधर जाएँगे I

ऐ ! हवा मत करो  ऐसी अठखेलियाँ ,

उनके चेहरे पे गेसू बिखर  जाएँगे I

 

पासवां कितने  बेदार हों हर तरफ ,

उनसे मिलने को हद से गुजर जाएँगे I

है मुहब्बत का तूफां जो दिल में भरा ,
उनकी नफ़रत के शर बे-असर जाएँगे I

बेरुखी उनकी अपनी बनी  बेखुदी ,

होगी नजर-ए-इनायत सुधर जाएँगे I

 

पावती खत की कासिद ले आना सँभाल ,  

दिल दिया हमने वो तो मुकर जाएँगे I

लड़ते लहरों से जो भी रहे हैं सदा ,
हों भँवर जितने भी पार कर जाएँगे I

लाख पहरे हों बेशक तो होते रहें ,
हम हैं परबाने ‘कंवर’ निडर जाएँगे I

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

कंवर करतार 

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 22, 2017 at 10:11pm
भाई,'समीर' नहीं "समर" ।
Comment by कंवर करतार on August 22, 2017 at 10:09pm

जनाब समीर साहब ,आपके उम्दा सुझाव सर माथे पर Iग़ज़ल पर नजर एवं जर्रा नवाजी के लिए तहेदिल से शुक्र गुजार हूँ Iसादर आभार I   

Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 6:23pm
जनाब डॉ.कंवर करतार साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले के सानी मिसरे में 'नूर'की जगह "देख"कर लें तो हुस्न बढ़ जायेगा ।
'ऐ!हवा मत करो ऐसी अठखेलियां'
इस मिसरे में 'हवा'एक वचन है और 'करो'शब्द बहुवचन के लिये होता है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
'ऐ हवा तू न कर ऐसे अठखेलियां'
चौथे शैर के ऊला मिसरे में 'पासवाँ'को "पासबाँ" कर लें ।
आख़री शैर के सानी मिसरे में 'परबाने'को "परवाने" कर लें ।
Comment by कंवर करतार on August 20, 2017 at 9:59pm

भाई लक्ष्मण धामी जी दाद के लिए तहेदिल से आभार I

Comment by कंवर करतार on August 20, 2017 at 9:58pm

मोहतरम सुरेद्र नाथ जी ,हौसलाअफजाई के लिए आभार I

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 9:07pm
हार्दिक बधाई...
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:25pm
आद0 डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी' जी सादर अभिवादन, बहुत उम्दा ग़ज़ल कहीं आपने, शेष गुणीजन जाने,हमे तो अच्छी लगी। बधाई
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:23pm
आद0 डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी' जी सादर अभिवादन, बहुत उम्दा ग़ज़ल कहीं आपने, शेष गुणीजन जाने,हमे तो अच्छी लगी। बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service