For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'अजय' बीते जमाने में कहीं कुछ छोड़कर आया,

जरा सा सोंचकर देखा तो मुझको याद कर आया,
'अजय' बीते जमाने में कहीं कुछ छोड़कर आया,

सजी यारों की महफिल थी बड़ा बेखौफ बचपन था,
बड़ी मजबूरियों ने रास्तों पर जाल बिछवाया,

ज़माने को समझने की बड़ी पुरजोर कोशिश की,
ज़माने की नसीहत ने ही मुझको और भरमाया,

जिन्हें अपना समझ बैठे थे सारी भूलकर शर्तें,
उन्हीं के कारनामों ने ही मुझको और तड़पाया,

सिवा तेरे जहाँ में और कोई है नहीं मेरा,
मेरे मौला , मेरे मौला तू मेरी रूह में छाया,

अजय शर्मा अज्ञात
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 10:11pm

आ. अजय जी, ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुणीजनों की बातों का पालन करें, निस्संदेह लाभ होगा. शुभकामनाएँ. सादर.

Comment by Ravi Shukla on July 9, 2017 at 2:34pm
आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी गजल के रूप में आपने जो कहने का प्रयास किया है उसका स्वागत है बहुत बहुत बधाई इसके लिए काफिया रदीफ़ आदि के बारे में जानकारी लीजिये मंच पर काफी सामग्री उपलब्ध है एक बार फिर से मुबारकबाद हाजिर है
Comment by Ajay Kumar Sharma on July 8, 2017 at 7:35pm
आप सभी विद्वानों का कोटिश: धन्यवाद . पूरा प्रयास करूँगा .
Comment by नाथ सोनांचली on July 8, 2017 at 3:39am
अजय जी भाव के लिए बधाई, समर साहब की बातों पर गौर कीजियेगा
Comment by Samar kabeer on July 7, 2017 at 2:50pm
जनाब अजय शर्मा अज्ञात जी आदाब,ग़ज़ल कहने का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन अभी आपको बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है,बह्र के अलावा शिल्प,क़ाफ़िया रदीफ़ के बारे में मंच पर कई आलेख हैं,उनका अध्यन करें ।
आपने मतले के दोनों मिसरों में एक ही क़ाफ़िया ले लिया,ये ग़ज़ल में दोष कहलाता है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 6, 2017 at 10:32pm
भाई अजय जी रचना के भाव अच्छे हैं । हारदिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आप इस पटल के वरिष्ठ सदस्य हैं. इस पटल के सदस्य अपनी तात्कालिक समझ के अनुसार…"
3 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन 1212  1122  1212  112/22किसे…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रूखे व्यवहार से मैं आहत हूँ । आदेशात्मक प्रवृत्ति किसी भी रचनाकार के …"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"उभयमार्ग ही अभयमार्ग --------------------------- शांति की बात कर रही दुनिया युद्ध में फिर भी मर…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"उचित है आदरणीय गिरिराज....जी मतले में सुधार के साथ दो शेर और शामिल कर हूँ....सभी अग्रजों…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन। दोहों के लिए हार्दिक बधाई।  भाई योगराज जी के कथन को अन्यथा न ले…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। आपके सुझाव से मूल दोहे…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।  इंगित दोहे में…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"प्रिय गिरिराज  हार्दिक बधाई  इस प्रस्तुति के लिए|| सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है सड़ा है…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"हार्दिक बधाई लक्ष्मण भाई इस प्रस्तुति के लिए|| सदा प्रगति शान्ति का       …"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service