For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु की जीत

आज फिर मोहन सर ने क्लास में अनुराग से प्रश्न पूछा था ,उसके जवाब न देने पर वो उसे डाँटने लगे थे ।अनुराग ने डरते हुए कहा ,"सर अभी ये सवाल आपने करवाया नहीं है । "सर ने कहा "चुप चाप खड़े रहो बहस मत करो ।"अनुराग ने अपनी बड़ी २ आँखो से ऐसे देखा ,जैसे पूछ रहा हो आप हमेशा बिना किसी ग़लती के मुझे क्यों डाँटते रहते है । मोहन सर जब इस स्कूल में नये आए थे तो अनुराग की आँखे उन्हें किसी की याद दिला रही थी । उन्होंने उस से उसके पापा का नाम पूछा था । उनका अंदाज़ा सही था वो उनके कॉलेज के सर का बेटा था , वो नयी उम्र के सर बेवजह उसे परेशान करते थे । पता नहीं क्यों वो भी होशियार अनुराग को जब तब डाँटते रहते थे ।
क्लास ख़त्म होने पर मोहन सर स्टाफ़ रूम में कल लिए टेस्ट की कॉपी चेक करने लगे ।अनुराग ने सारे सवाल सही किए थे , वो उसके नम्बर काटने ही जा रहे थे कि उनके अंदर के गुरु ने उन्हें धिक्कारा ,एक गुरु होकर वो ये क्या करने जा रहा थे ,ऐसा करके वो अनुराग की आँखो में उठे सवालों क्या जवाब देंगे ।उन्होंने उसे पूरे नम्बर देकर वेरी गुड लिखा । उनके मन का मैल धूल गया था ।आज एक गुरु जीत गए थे ,और कलेंडर में गुरु पूर्णिमा मुस्कुरा दी थी ।
बरखा शुक्ला
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Barkha Shukla on July 13, 2017 at 10:44am
आदरणीय महेंद्र जी आपके सुझाव के लिए धन्यवाद
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 9:07pm

आ. बरखा जी, सच कहूँ तो इतने अच्छे प्लाट को जैसे ट्रीटमेंट की आवश्यकता थी वैसा नहीं हो पाया. किसी व्यक्ति के अन्दर परिवर्तन इतने सहज रूप में नहीं होता जैसा आपकी कहानी में दर्शाया गया है. //और कलेंडर में गुरु पूर्णिमा मुस्कुरा दी थी ।// यह पंक्ति भी मुझे अनावश्यक लगी. याद रखिए. कहानी में "क्या कहना है" यह तो महत्त्वपूर्ण है ही, "कैसे कहना है" यह और भी महत्त्वपूर्ण है. भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाओं सहित इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Barkha Shukla on July 11, 2017 at 10:38am
आदरणीय गोपाल जी आपके सुझाव के लिए धन्यवाद , सादर
Comment by Barkha Shukla on July 11, 2017 at 10:36am
आदरणीय कबीर जी आपके सुझाव के लिए धन्यवाद ,मैं आपकी बात पर ध्यान देकर लिखने की कोशिश करूँगी ।आपका मार्ग दर्शन मिलता रहे । सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2017 at 9:23pm

कैलेण्डर में गुरु का मुस्कराना अधिक उपयुक्त होता गुरु पूर्णिमा का मुस्काना ऊहात्मक है  मानव के रहते  मानवीकरण तक जाने   की आवश्यकता नहीं थी  --------कथा अवश्य अच्छी लगी .

Comment by Samar kabeer on July 10, 2017 at 6:11pm
मोहतरमा बरखा शुक्ला जी आदाब,गुरु पूर्णिमा पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,लेकिन मुझे इसके कथानक में कसावट की कमी लग रही है,कुछ एक जगह टंकण त्रुटि भी नज़र आई,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक निवेदन ये कि पटल पर अन्य रचनाओं पर भी अपनी अमूल्य प्रतिक्रया देकर रचनाकार का मनोबल बढ़ाने का कष्ट करें,ये हमारी ज़िम्मेदारी है ।
Comment by Barkha Shukla on July 10, 2017 at 9:26am
आदरणीय विजय जी धन्यवाद ,सादर
Comment by Barkha Shukla on July 10, 2017 at 9:25am
आदरणीय आरिफ़ जी बहुत २ धन्यवाद ,आभार
Comment by Mohammed Arif on July 10, 2017 at 8:02am
आदरणीया बरखा शुक्ला जी आदाब, बेहतरीन प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 10, 2017 at 7:29am
बधाई , छोटी , सराहनीय, प्रेरक , कहानी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
8 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service