For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल --ख़ुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करतीं हैं

1222 1222 1222 1222

वो अक्सर बेरुखी से वक्त का दीदार करती हैं ।।
हवाएं इस तरह से जिंदगी दुस्वार करती हैं ।।

न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।
हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।।

बड़ी चर्चा है वो बदनामियों से अब नहीं डरता ।
है उसकी हरकतें ऐसी दिलों में ख्वार करतीं हैं ।।

जिन्हें खुद पर भरोसा ही नही रहता है मस्जिद में ।
खुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करती हैं ।।

न् जाओ तुम कभी मतलब परस्तों के इलाके में ।
उधर खुशियां भी मुद्दत से नहीं रुखसार करती हैं ।।

वफ़ा चाहो वफ़ा पढ़ लो जफ़ा चाहो जफ़ा पढ़ लो ।
तुम्हारी चाहतें मुझको खुला अखबार करती हैं ।।

सँभल के चल मेरे साथी ज़माना है बड़ा जालिम ।
सुना है वारदातें वो सरे बाज़ार करतीं हैं ।

उन्हें कैसी अदावत है समझना भी हुआ मुश्किल ।
दुआएं पास आने से बहुत इनकार करतीं हैं ।।

न पूछो हाल अब उसका बहुत चर्चा है जोरों पर ।
अदाएं गैर की महफ़िल गुले गुलज़ार करती हैं ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 8:32pm
आ0 मुहम्मद आरिफ़ साहब तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 8:31pm
आ0 बसंत कुमार शर्मा जी हार्दिक आभार ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 6:15pm

सुंदर ग़ज़ल कही है आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ,

न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।
हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।। बहुत बढ़िया 

Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 5:07pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र लाजवाब । हार्दिक बधाई क़ुबूल करें ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 4:52pm

सुंदर ग़ज़ल कही है आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ,

न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।
हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।। बहुत बढ़िया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service