2122 2122 2122 212
बेखुदी में यार मेरे याद आना छोड़ दो
मुस्कुराने की अदा है कातिलाना, छोड़ दो।1
सूखती-सी जो नदी उम्मीद की, बहती रही
कान में पुरवाइयों-सी गुनगुनाना छोड़ दो।2
ख्वाहिशों के दौर में थमती नहीं है जिंदगी
उँगलियों पर अब जरा मुझको नचाना छोड़ दो।3
चाँद ढलता जा रहा फिर है पड़ी सूनी गली
बेबसी में अब कभी मुझको बुलाना छोड़ दो।4
राह अपनी मैं चलूँ तुमको मुबारक रास्ते
अनकही बातें बता रिश्ते लगाना छोड़ दो।5
भूलती ही जा रही है धुन भली अपनी यहाँ
सुर मुनासिब जो न हो मुझको बजाना छोड़ दो।6
भेद नजरों में भरा है,शोखियाँ भातीं नहीं,
अब जरा घूँघट हटा आओ,लजाना छोड़ दो।7
'मौलिक व अप्रकाशित'@
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आदरणीय मनन भाई , खूबसूरत गज़ल कही , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।
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