For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यकीं के बाम पे ...


यकीं के बाम पे ...

हो जाता है
सब कुछ फ़ना
जब जिस्म
ख़ाक नशीं
हो जाता है
गलत है

मेरे नदीम
न मैं वहम हूँ
न तुम वहम हो
बावज़ूद
ज़िस्मानी हस्ती के
खाकनशीं होने पर भी
वज़ूद रूह का
क़ायनात के
ज़र्रे ज़र्रे में
ज़िंदा रहता है

ज़िंदगी तो
उन्स का नाम है
बे-जिस्म होने के बाद भी
रूहों में
इश्क का अलाव
फ़िज़ाओं की धड़कनों में
ज़िंदा रहता है

लम्हे मुहब्बत के
इतनी आसानी से
फ़ना नहीं होते
वस्ल के लम्हों में
कुछ भी दरमियाँ नहीं होता
तू और मैं का फ़र्क
मिट जाता है
शर्मों हया का हिज़ाब
हट जाता है
साये जिस्म बन जाते हैं
हकीकत को गुनगुनाते हैं
रूह से
जिस्म का मुलम्मा हट जाता है
हिज़्र का
डर नहीं होता
यकीं के बाम पे
बस इक पाक गौहर सी
ज़िंदगी होती है
आसमानों की
चादर ओढ़कर
मुहब्बत
चैन की नींद सोती है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 4, 2017 at 6:44pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत ख़ूब, बहुत जज़्बाती कविता,हमेशा की तरह आपने अपने क़लम का जादू जगाया है, और पाठक को बांधने में कामयाब हुए हैं,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
सही शब्द है "वह्म" और 'शर्मों हया' नहीं "शर्म-ओ-हया"
Comment by Sushil Sarna on May 1, 2017 at 6:42pm

आ.मो.आरिफ साहिब सृजन को अपनी आत्मीय सराहना से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2017 at 6:41pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब सृजन को आपकी प्रशंसा का आशीर्वाद मिला , सृजन उपकृत हुआ  ... आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2017 at 6:39pm

आदरणीय बृजेश जी सृजन को आपने आत्मीय भावों से प्रशंसित करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2017 at 2:02pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, बहुत ख़ूबसूरत प्रेमासिक्त भावों का गुलदस्ता । बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 10:24am

आदरणीय सुशील भाई , मुहब्बात की जाविदानी को लल्फाज़ से खूब सजाया है ... हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 29, 2017 at 10:29pm
वाह आदरणीय क्या शानदार ढंग से भावों को शब्द रूपी मोतियों मे ढाला है..बहुत ही बेहतरीन कविता हुई..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service