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मनहरण घनाक्षरी...समीक्षार्थ..अबके चुनाव में...//अलका ललित

समीक्षार्थ
मनहरण घनाक्षरी ....(एक प्रयास)
***
भ्रष्टाचारियों से बड़ी
चोट खाई पीढ़ियों ने
चोट ये मिटानी होगी
अबकी चुनाव में  
.
दांव न लगाने देंगे
झूठे वादों का जी अब
हार भी चखानी होगी
अबकी  चुनाव में
.
मतदाता याद आए
पांच साल बाद जिसे
मात उसे खानी होगी
अबकी चुनाव में
.
मिल कर सोचो सब
चाहते समाज कैसा
ताकत दिखानी होगी
अबकी  चुनाव में
.

***
मौलिक एवं अप्रकाशित

((चार पदों के इस वर्णिक छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्णों की संख्या ३१ होती है.प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या क्रमशः ८, ८, ८, ७ की यति के अनुसार . तथा, पदान्त लघु-गुरु से हो. ))

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Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 12, 2017 at 8:43pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,नमस्कार प्रयास  को समय देने  व् मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपके निर्देश अनुसार सुधार किया है।   सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 12, 2017 at 8:40pm

आदरणीय  Samar kabeer जी ,नमस्कार , आपको प्रयास पसंद आया ,लेखन कर्म सफल हुआ ,रचना को समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 12, 2017 at 8:38pm

आदरणीय Mohammed Arif ji ,नमस्कार , उत्साहवर्धन  के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 11, 2017 at 11:10am

भ्रष्टाचारियों से बड़ी
चोट खाई पीढ़ियों ने
चोट ये मिटानी होगी
अबकी चुनाव में  
.
दांव न लगाने देंगे
झूठे वादों का जी अब
हार भी चखानी होगी
अबकी  चुनाव में
.
मतदाता याद आए
पांच साल बाद जिसे
मात उसे खानी होगी
अबकी चुनाव में
.
मिल कर सोचो सब
चाहते समाज कैसा
ताकत दिखानी होगी
अबकी  चुनाव में

 

 

 

Comment by Samar kabeer on April 10, 2017 at 6:09pm
मोहतरमा यलक ललित जी आदाब,छन्दों पर अच्छा अभ्यास हो रहा है,देख कर ख़ुशी हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 10, 2017 at 12:45pm
आदरणीया अलका ललित जी आदाब, बेहतरीन छांदसिक रचना । रचना सामयिक होती तो ज़्यादा बेहतर होता । हार्दिक बधाई । बाक़ी गुणीजन अपनी अमूल्य राय देंगे ।

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