For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ मुक्तक (भाग-४)

सजी दुल्हन के जोड़े में, हंसी वो रूप की रानी।
सुनहरे रंग की बिंदिया, चमक माथे पे नूरानी।
हरी चूनर खिला चहरा, गुलाबी होंठ की लाली।
हजारों हुश्न देखे पर, नहीं उसका कोई सानी।

तुम्हारी सादगी देखी, तुम्हारा साज देखा है।
मगर हर रूप में जाना, जुदा अंदाज देखा है।
तुम्हारी सादगी चमके, कुमुदिनी फूल के जैसे।
तुम्हारे साज में हमने, सदा ऋतुराज देखा है।

खुली आंखें रहीं मेरी, अचानक देखकर उनको।
धरा पर ईश ने भेजा, रमा रति उर्वशी किसको।
अगर नख शिख करूं वर्णन, तो केवल लफ्जबाजी है।
हमारी मति हुई जड़ सी, निहारूं एकटक उनको।

तुम्हारी इक झलक पाकर, हमें इतनी खुशी होती।
किसी प्यासे को ज्यों पानी, किसी भूखे को ज्यों रोटी।
कई दिन से नहीं देखा, लगे कुछ गुम गया मेरा।
दिखे जब आज वो मुझको, मिला अनमोल सा मोती।

परायी वो अमानत है, मेरा अधिकार ना उस पर।
सड़क का एक पत्थर हूं, नहीं उसका कोई रहबर।
कदम से लग कहा मैंने, चले क्या साथ हम दोनों।
बनो मत बावले प्यारे, कहा उसने मुझे हंसकर।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1108

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 4, 2017 at 12:18pm
आदरणी मो. आरिफ सर, सादर आभार। मात्रा विन्यास न लिखने के लिये क्षमा प्रार्थी हूं। मात्रा विन्यास है- 1222 1222 1222 1222
Comment by नाथ सोनांचली on April 4, 2017 at 4:49am
जनाब विन्ध्येश्वरी जी आदाब,बहुत अच्छे मुक्तक लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on April 3, 2017 at 2:42pm
जनाब विन्धियेश्वरी जी आदाब,बहुत अच्छे मुक्तक लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहले मुक्तक में 'रानी'और 'नूरानी'की तुकान्तता सही है क्या ?
दूसरे मुक्तक में 'साज़','अंदाज़'के साथ 'ऋतुराज'की तुकान्तता पर भी विचार कीजियेगा ।
तीसरे मुक्तक में 'उनको'के साथ 'किसको'और फिर 'उनको'की तुकान्तता पर भी विचार कीजियेगा ।
Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 11:12am
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदाब, बेहतरीन प्रेम के रंग में सराबोर मुक्तक,नये बिम्ब और प्रतीक से ताज़गी का अहसास । यदि आपने इन मुक्तकों की बह्र (मात्रिक विधान)भी लिख दी होती तो बहुत अच्छा होता । बहुत-बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"प्रिय गिरिराज  हार्दिक धन्यवाद"
5 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाई हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।"
7 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।"
8 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजीहार्दिक धन्यवाद आभार आपका।"
10 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाईजी  प्रदत्त चित्र पर बहुत सुन्दर छंद |.. हार्दिक बधाई "
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई जी आम तोड़ने के लिए बच्चों के प्रयास मस्ती और जुगाड़़ पर सुंदर छंद। हार्दिक…"
23 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजीसत्य कथन है आम बहुत ही खास है।भाव सुनकर आम आदमी निराश है।। आम तोड़ने के लिए…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , चित्र के हर बिंदु का आपने रचना में उतार दिया है , बहुत बढ़िया , बहुत बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाई दिए हुए चित्र पर  बहुत सुन्दर छंद रचे हैं आपने ,  पेड़ रहा था सोच, कि…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , हमेशा की तरह आपकी ये क्छ्न्दा रचना भी बहुत बढ़िया हुई है | आपको हार्दिक…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    रोला छंद * सीढ़ी  पर  है  एक, तीन  दीवारों  पर। लगते है शिशु…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी , चित्र के अनुरूप आपकी छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service