For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुगलियाँ कर बैठी आँखें और हैरानी मेरी (ग़ज़ल 'राज'

२१२२ २१२२ २१२२ २१२

कितने रिश्ते तोड़ आई तल्ख़ मनमानी मेरी

क्यूँ गवारा हो किसी को अब परेशानी मेरी

 

शमअ के पहलू में रख कर जान  परवाना  कहे

इक कहानी खुद लिखेगी अब ये कुर्बानी मेरी

 

रूबरू आये तो धोका दे गया मेरा नकाब

चुगलियाँ कर बैठी आँखें और हैरानी मेरी  

 

टांक दो दिलकश सितारे कहकशाँ से तोड़कर

बोलती है अब्र से देखो चुनर धानी मेरी

 

शह्र भर में कू ब कू तक हो गई रुस्वाइयाँ

कर गई बर्बाद मुझको हाय नादानी मेरी

 

पीले पत्तों को डराती ख़्वाब में आकर ख़िज़ाँ

मिलना  तुम तैयार दर पे चाल तूफानी मेरी

 

ढूँढती इक दिन ख़ुशी वो आएगी सोचूँ मगर  

कैसे पहचानेगी मुझको शक्ल अनजानी मेरी

.

-----मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 6, 2017 at 12:54pm

आद० महेंद्र कुमार जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ .

Comment by Mahendra Kumar on March 5, 2017 at 1:03pm
आदरणीय राजेश मैम, बहुत उम्दा और प्यारी ग़ज़ल लगी आपकी। मतला विशेष तौर पर अच्छा लगा। ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 7:10pm

आद० तेजवीर सिंह  जी ,आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से बहुत बहुत आभार शुक्रिया सादर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 7:09pm

आद० सुरेन्द्र नाथ भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 7:08pm

आद० समर भाई जी आप जल्दी स्वास्थ्य लाभ लेकर सक्रिय भी हो जायेंगे हमारी शुभकामनाएँ 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 12:11pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। बेहतरीन गज़ल ।

शह्र भर में कू ब कू तक हो गई रुस्वाइयाँ

कर गई बर्बाद मुझको हाय नादानी मेरी

Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 6:43am
रूबरू आये तो धोका दे गया मेरा नकाब
चुगलियाँ कर बैठी आँखें और हैरानी मेरी क्या कहना वाह

टांक दो दिलकश सितारे कहकशाँ से तोड़कर
बोलती है अब्र से देखो चुनर धानी मेरी, वाह वाह वाह वाह
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन। बेहद उम्दा अशआर के साथ खूबसूरत गजल के लिए बधाई।
Comment by Samar kabeer on March 2, 2017 at 9:30pm
बहना जब मुझे मंच पर सक्रिय देखें,समझ लीजियेगा तबीअत ठीक है,अभी इस लायक़ नहीं हूँ कि मंच पर सक्रियता दिखा सकूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2017 at 9:02pm

आद० बृजेश कुमार जी ,आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2017 at 9:00pm

आद० बासुदेव अग्रवाल जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ बहुत बहुत शुक्रिया आपका सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
57 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
8 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service