For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (साँस को छोड़ना भी मना है)

ग़ज़ल (साँस को छोड़ना भी मना है)

(2122 122 122)

बोलना बात का भी मना है,
साँस को छोड़ना भी मना है।

दहशतों में सभी जी रहे है,
दर्द का अब गिला भी मना है।

ख्वाब देखे कभी जो सभी ने,
आज तो सोचना भी मना है।

जख्म गहरे सभी सड़ गये हैं,
खोलना घाव का भी मना है।

सब्र रोके नहीं रुक रहा अब,
बाँध को तोड़ना भी मना है।

अब नहीं है 'नमन' का ठिकाना,
आशियाँ खोजना भी मना है।


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2016 at 11:07am

आदरणीय आसुदेव भाई , अच्छी गज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करे ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2016 at 2:31pm

पांचवे  में तकाबुले रदीफैन  है , आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 9:06pm

आदरणीय बासुदेव जी, ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है किन्तु ईता दोष के कारण ग़ज़ल होते-होते रह गई. आदरणीय समर कबीर जी ने स्पष्ट किया है. इस सम्बन्ध में चूक से बचने के लिए "ना भी मना है" को रदीफ़ मानिए तो स्पष्ट हो जाता है कि काफिया निर्धारण त्रुटिपूर्ण है. बोल, छोड़, सोच, खोज आपस में काफिया नहीं हो सकते. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 4, 2016 at 2:18pm
क़ाफिये का पिछला शब्द जो बार-बार आता है उसे हर्फ़-ए-रवी कहते हैं,जिसका पालन करना अनिवार्य है,आपके 'ना'क़ाफिये का पिछला शब्द है 'ल'जो हर शैर में बदल रहा है,इसलिये ये मान्य नहीं,आपका क़ाफ़िया हुआ 'ना'और उसका हर्फ़-ए-रवी हुआ 'ल'जो बार बार नहीं आरहा है, बदल रहा है,'ल','ड' आदि इसलिये ये नहीं लिया जा सकता,उम्मीद है,बात स्पष्ट हो गई होगी ?
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 3, 2016 at 8:36pm
आदरणीय समर साहब आपका सुझाव सर आँखों पर। एक जिज्ञासा है। जैसे मतले में बोलना और छोड़ना दो शब्द मैंने लिए और "अना" की अधिकतम समानता को हर शेर में निभाया। यहाँ यह अना स्वरांत क्यों नहीं स्वीकृत हुआ। सादर।
Comment by Samar kabeer on December 3, 2016 at 8:26pm
मतला यूँ कर लीजिये:-
"छोड़ना साँस का भी मना है
बात को बोलना भी मना है"
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 3, 2016 at 6:44pm
आदरणीय समर कबीर साहब'आ' स्वरांत या 'ना' व्यंजन का काफ़िया मान्य नहीं है। मैं आ स्वरांत का काफ़िया रखना चाहता हूँ तो कृपा कर बताएँ कि मतले में क्या परिवर्तन करूँ।
Comment by Samar kabeer on December 3, 2016 at 2:42pm
जनाब बासुदेव अग्रवाल'नमन'जी आदाब,ग़ज़ल आपने अच्छी कही है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
क़ाफ़ियों का चयन सही नहीं है,अगर 'बोलना'क़ाफ़िया रखना है तो आगे'तोलना',खोलना'आदि क़ाफिये होंगे,और अगर 'छोड़ना'क़ाफ़िया रखना है तो आगे के क़ाफिये 'तोडना','मोड़ना' क़ाफिये आएंगे,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service