For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घूंघट की ओट में .....

घूंघट की ओट में .....

खो गयी
एक गुड़िया
घूंघट की ओट में


बन गयी
वो एक दुल्हन
घूंघट की ओट में


ख़्वाबों का
शृंगार हुआ
घूंघट की ओट में


थम थम के
छुअन बढ़ी
घूंघट की ओट में


सब कुछ
मिला उसे
घूंघट की ओट में


बस
मिल न पाया
उसे एक दिल
घूंघट की ओट में

सुशील सरना

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2016 at 4:03pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी प्रस्तुति आपके आत्मीय आशीर्वाद से उपकृत हुई। हार्दिक हार्दिक आभार। पिछले ६-७ दिनों से नेट काम नहीं कर रहा था सो आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ। इस हेतु क्षमा प्रार्थी हूँ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2016 at 4:29pm

सब कुछ 
मिला उसे 
घूंघट की ओट में


बस 
मिल न पाया 
उसे एक दिल 
घूंघट की ओट में | - बहुत सुंदर कह दिया आपने घूँघट की ओट में | हार्दिक बधाई श्री सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:09pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से मान देने का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:08pm

आदरणीय विजय निकोर जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:07pm

आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब प्रस्तुति को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत  करने का हार्दिक हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:06pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को अपनी आत्मीय प्रशंसा से पुरस्कृत करने का हार्दिक हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2016 at 7:34pm

आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर ! अच्छी लगी आपकी कविता , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 8:08am

बहुत ही सुन्दर भाव हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 26, 2016 at 5:14pm

कह गये

क्या बात  आप   

घूँघट की ओट  में

Comment by Samar kabeer on November 26, 2016 at 10:12am
जनाब सुशील सरना जी आदाब,'बस एक दिल न मिल पाया उसे घूँघट की ओट में'वाह बहुत ख़ूब बहुत सुंदर कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service