For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"एक्सटिंक्ट" होने के कगार पर

पहले वह रोज आती थी
कभी बरामदे के मुंडेर पर बैठती
कभी खिड़की पर
और कभी-कभी तो
हद ही हो जाती जब वो
कमरे के अन्दर तक आ जाती ।

रोज सबेरे
जब उसकी आवाज सुनते
तब लगता
कि सुबह हो गई है
तब शुरू हो जाता
हमारा रोजनामचा ।

दिन ऐसे ही
रोज गुजरते रहे
वह रोज आती रही
हम रोज उसे देखते रहे
फिर एक दिन अचानक
लगा कुछ " मिसिंग" है ।

फिर अखबार में पढ़ा
गौरैया "एक्सटिंक्ट" होने के कगार पर है
एक सदमा जैसा लगा
ऐसे कैसे हो सकता है
पर ऐसा ही हुआ है
अब वो नहीं आती ।

उसका इंतजार रहता है, रोज
सुबह से शाम तक
शायद आज दिख जाए
पर नहीं, वो कहाँ दिखने वाली
शायद अखबार की खबर सच है
गौरैया "एक्सटिंक्ट" होने के कगार पर है ।

Views: 846

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 24, 2010 at 10:28pm

बहुत ही सुंदर काव्य की प्रस्तुति है नीलम दीदी, गौरैया जो हम सब के आँगन में फुदकती रहती थी आज पता नहीं किसकी नजर लग गई की वो विलुप्त होती जा रही है, एक और पक्षी जिनका पारिस्थितिकी मे बहुत योगदान था आज विलुप्त हो गया है , जी हाँ मैं गिद्ध महाराज की ही बात कर रहा हू जिनके वजह से हमारा वातावरण साफ़ सुथरा रहता था,
दीदी आप की नज़र हर तरफ रहता है यह आपकी कविताओ में दिखता है, बहुत बहुत धन्यवाद इस खुबसूरत कृति हेतु,
Comment by Rash Bihari Ravi on June 24, 2010 at 6:06pm
दिन ऐसे ही
रोज गुजरते रहे
वह रोज आती रही
हम रोज उसे देखते रहे
फिर एक दिन अचानक
लगा कुछ " मिसिंग" है ।

manmohak soch
Comment by baban pandey on June 24, 2010 at 4:19pm
हम रोज उसे देखते रहे
फिर एक दिन अचानक
लगा कुछ " मिसिंग" है ।......distortion of nature can convert many spices into extinct class.....thanks..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service