For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्सां के लिए ... (क्षणिकाएं)

इन्सां के लिए ... (क्षणिकाएं)
1 .
एक पत्थर उठा
शैतां के लिए
एक पत्थर उठा
जहां के लिए
एक पत्थर उठा
मकां के लिए
देवता बन
जी उठा
एक पत्थर
इन्सां के लिए
...... ..... ..... .....
२.
मैं आज तक
वो रिक्तता
नहीं नाप सका
जिसमें
कोई माँ
अपने जन्मे को
तन्हा छोड़
ब्रह्मलीन हो जाती है
मन को शून्यता की
क़बा दे जाती है
..... ..... ..... ..... .....
३.
हमने
प्रवाहित कर दी थी
गंगा में
कलश में समेटी अस्थियां
जैसा माँ ने
अंतिम क्षणों में
कहा था
नहीं बहा सके मगर
उसकी
क्षीण होती
दर्दीली स्वर लहरी को

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:08pm

आदरणीय सौरभ सर प्रस्तुतियां आपकी आत्मीय प्रशंसा से उपकृत हुई। आपका सुझाव मेरे लिए अमूल्य है नए सृजन में इस सूक्षम और गहन बात को अवश्य ध्यान में रखूँगा।  पुनः आप का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:04pm

आ.  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी प्रस्तुति आपकी स्नेहिल प्रशंसा से उपकृत हुई। 

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:02pm

आदरणीय   Samar kabeer    जी प्रस्तुति को अपने स्नेह से सुशोभित  करने के लिए आपका हार्दिक आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2016 at 4:33pm

अत्यंत सान्द्र भावनाओं केलिए बारम्बार बधाइयाँ. तीनों क्षणिकाएँ संप्रेषणीयता के लिहाज से अत्यंत सटीक हुई हैं. अलबत्ता, पहली क्षणिका में पत्थरों के प्रकार को तार्किक क्रम देना और उचित होता.

सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2016 at 9:37pm

सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति- आदरणीय

Comment by Samar kabeer on August 17, 2016 at 3:27pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा क्षणिकाएं हुई हैं,कम शब्दों में गहरी बातें कह गए आप,बहुत बधाई स्वीकार करें इस शानदार प्रस्तुति पर ।
Comment by Sushil Sarna on August 17, 2016 at 1:41pm

आ. कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति आपकी स्नेहिल प्रशंसा से उपकृत हुई। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 17, 2016 at 9:08am
भावनात्मक रचना । बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशील जी ।
Comment by Sushil Sarna on August 16, 2016 at 7:12pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma    जी प्रस्तुति को अपने स्नेह से सुशोभित  करने के लिए आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Shyam Narain Verma on August 16, 2016 at 4:59pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service