For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मेरा ‘मै’ ही अनजाना सा लगता है - ( गिरिराज भंडारी )

22   22   22   22   22   2    -- बहरे मीर

सब कुछ जाना पहचाना सा लगता है

मेरा ‘मै’ ही अनजाना सा लगता है

 

जिसकी अपने अन्दर से पहचान हुई

वो फिर सबको दीवाना सा लगता है

 

मन का खाली पन फैला यूँ वुसअत में

जग सारा अब वीराना सा लगता है

 

घर के हर कमरे की चाहत अलग हुई

बूढ़ा छप्पर  गम ख़ाना सा लगता है

 

दिल का हर कोना दिखलाये हैं  लेकिन

हर दिल में इक तहखाना सा लगता है

 

अपनेपन के अंदर भी अब बुना हुआ

षड़यंत्री ताना बाना सा लगता है  

 

मूछें आयीं चेहरे पर, तो जाने क्यूँ

सच कहना भी, समझाना सा लगता है

 

कहो नींद से अब आती है, आ जाये

दिल मेरा कुछ कुछ माना सा लगता है

 

साथ निभाता है हँसने में आँसू भी

अश्क़ों से कुछ याराना सा लगता है

*********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 3, 2016 at 4:40pm

जिसकी अपने अन्दर से पहचान हुई

वो फिर सबको दीवाना सा लगता है-------बहुत खूब । हार्दिक बधाई आदरणीय

Comment by रामबली गुप्ता on August 16, 2016 at 6:53pm
ग़ज़ल नही जबरदस्त ग़ज़ल हुई है आद0 गिरिराज भाई जी। खूबे बधाई लीजै।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2016 at 3:30pm

आदरणीया कल्पना जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2016 at 3:29pm

आदरनीय तस्दीक भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।

आपने सही कहा है , छत और महफिल स्त्रीलिंग है , अभी सुधार करता हूँ , आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2016 at 3:27pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2016 at 6:34am
अपनेपन के अंदर भी अब बुना हुआ
षड़यंत्री ताना बाना सा लगता है

मूछें आयीं चेहरे पर, तो जाने क्यूँ
सच कहना भी, समझाना सा लगता है ।

बहुत खूब । हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 15, 2016 at 9:14pm

मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब ,  अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद और दाद क़ुबूल फरमाएं ----शब्द  महफ़िल और छत इस्त्रीलिंग हैं और शेर नंबर --4 का सानी और शेर 8 का ऊला मिसरा एक बार बहर के हिसाब से देख लीजिये -----

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 15, 2016 at 4:24pm
आदरणीय गिरिराज जी नमन।उम्दा ग़ज़ल के लिए सदर हार्दिक बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2016 at 1:41pm

आदरणीय आशुतोष भाई ,हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2016 at 1:32pm
आदरणीय सुरेश भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय शिज्जू भाई, घनाक्षरी या सवैया जिन्हें उनकी कुल मात्रिकता के कारण वृत्त या दण्डक की श्रेणी का…"
31 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, जी बेहतर की संभावना तो हर जगह होती है, मगर मेरे कहने का आशय यह नहीं था।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर अभिवादन आदरणीय। मेरा मानना है कि अमित जी को इस संदर्भ में स्वयं अपना पक्ष रखना चाहिए और अपनी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"अय हय, हय हय, हय हय... क्या ही सुंदर, भावमय रचना प्रस्तुत की है आपने, आदरणीय अशोक भाईजी. मनहरण…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं अपने प्रस्तुत पोस्ट को लेकर बहुत संयत नहीं हो पा रहा था. कारण, उक्त आयोजन के दौरान हुए कुल…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. 16,15 =31…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service