For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जेब में सहमा हुआ इतवार है (ग़ज़ल 'राज ')

२१२२ २१२२ २१२

मजहबों के बीच जो दीवार है

डालती उस नींव को सरकार है

हाथ में जिसके किताबें चाहिए

आज उसके हाथ में हथियार है

जिन्दगी इक बार मिलती है यहाँ

मर रहा इंसान सौ सौ बार है

ख्वाहिशें बच्चों की पूरी क्या करें

जेब में सहमा हुआ इतवार है

पढ़ नहीं सकता यहाँ इक हर्फ़ जो

बेचता सड़कों पे वो अखबार है

राम रहिमन बिक रहे बाजार में

फल रहा बस धर्म का व्यापार है

नारियाँ महफूज़ बोलो हैं कहाँ

आज सड़कों पर लुटे संसार है

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है

बादलों की देख के दादा गिरी

आज सावन भी हुआ बेजार है

दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में

जानवर को जानवर से प्यार है

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on July 12, 2016 at 7:47pm

हाथ में जिसके किताबें चाहिए

आज उसके हाथ में हथियार है......सही कहा , ये ही हो रहा है  कश्मीर  घाटी में  

बादलों की देख के दादा गिरी

आज सावन भी हुआ बेजार है......उत्तराखंड में दादागिरी करने के बाद अब बादल मध्य प्रदेश में  दादागिरी कर रहे हैं,

अपने आस पास से उठाकर आप बहुत खूबसूरती  से सच को रखती हैं ..... हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी  

Comment by Samar kabeer on July 12, 2016 at 3:43pm
हो रहा ग़मगीन ख़ुद ग़मख्वार है"
ये मिसरा ज़ियादा सटीक है बहना ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2016 at 11:40am

आद० समर  भाई  जी  आप इस्सलाह दीजिये कौन सा मिसरा यहाँ रखूं यदि ये ठीक है क्या इसे ही रहने दूँ या जो नया सोचा है उसे रखूँ--- 

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हो रहा ग़मगीन खुद गमख्वार है या --हर कोई ग़मगीन है गमख्वार है --ऐसे लिखूँ 

Comment by Samar kabeer on July 12, 2016 at 11:29am
बहना,"ग़मख्वार"शब्द पर में भी रुका था परन्तु इसके भाव देख कर कुछ न कहा, मेने ये भाव लिया कि हर कोई ग़मख्वारी में मसरूफ़ है इस कारण क़हक़हे गुम हो गए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2016 at 11:24am

आपका  बहुत बहुत आभार  आदरणीय गिरिराज जी |आपकी बात  सही है यदि हम इजाफत के अनुसार गमेख्वार करेंगें तभी मात्राएँ १२२१ होगी वरना गमख्वार एक साथ  २ २१ है मैं दरअसल यही शब्द लेना चाह रही हूँ इसलिए  इसे  ही  रख रही हूँ --

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हो रहा ग़मगीन खुद गमख्वार है

  

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 12, 2016 at 11:10am

आदरणीया, अगर  गमख़्वार की ज़िद न हो तो ऐसा भी कह सकते हैं --

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

ज़ेह्नियत से क्या जहाँ बीमार है  

वैसे आपने जो सुधार किया है वो भी सही है ,  गम और ख़्वार को अलग अलग शब्द मानें तो  , नही तो ग़मख्वार  -1221 हो जायेगा , इस विषय पर मै कोई अंतिम बात नही कह सकता , जैसा आप उचित समझें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2016 at 10:55am

आद० गिरिराज जी आपने बड़ी सूक्ष्मता से ग़ज़ल की समीक्षा जी है आपने उस महीन त्रुटी की तरफ इशारा किया है जिसको आद० समर भाई भी नहीं पकड़ पाए आपकी बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ सच में ये शब्द मिसरे के भाव के साथ मेल नहीं कर रहा |क्या इसको ऐसा करना ठीक रहेगा --

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हो रहा ग़मगीन खुद गमख्वार है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2016 at 10:46am

आद०  डॉ० आशुतोष जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 12, 2016 at 10:21am

आदरणीया राजेश जी , बहुत अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।

आदरणीया -- 1- गमख़्वार   -- का अर्थ  , गम मे साथ देने वला , सहानुभूति रखने वाला होता  है , क्या आपका शेर इस अर्थ मे सही है ?

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है 

2 -

दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में   ---  दुश्मनी देखी यहाँ इंसान मे     -- शायद और सही  लगे । ज़रूरी नही है बदलाव एक सलाह है ये ।

जानवर पशु पक्षियों में प्यार है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 11:13pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेशजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service