For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - तड़प रहा हूँ मगर मुस्कुरा रहा है कोई

तड़प रहा हूँ मगर मुस्कुरा रहा है कोई
सितम पे और सितम आज ढा रहा है कोई

अदाओं नाज़ से दामन बचा रहा है कोई
की आज मुझसे निगाहें चुरा रहा है कोई

सहूंगा कैसे मैं ग़म अर्स-)ए जुदाई का
बिछड़ के मुझसे बहुत दूर जा रहा है कोई

हवाएं बुग्जो अदावत की लाख तेज़ सही
मग़र चराग़ वफ़ा के जला रहा है कोई

कमा के नेकियाँ फिर आज आखरत के लिए
नये मकान का नक्शा बना रहा है कोई

वफ़ा ही करता रहा आज तक मगर "रिज़वान"
नज़र से अपनी मुझे क्यूँ गिरा रहा है कोई

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2016 at 5:48pm

कमा के नेकियाँ फिर आज आखरत के लिए
नये मकान का नक्शा बना रहा है कोई

बहुत खूब | आदरणीय रिजवान जी बधाई कुबूल करें |

Comment by kanta roy on June 1, 2016 at 9:22pm
तड़प रहा हूँ मगर मुस्कुरा रहा है कोई
सितम पे और सितम आज ढा रहा है कोई----क्या खूब गजल कही है आपने आदरणीय रिजवान जी । बहुत बहुत बधाई आपको ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 29, 2016 at 8:48pm

कमा के नेकियाँ फिर आज आखरत के लिए
नये मकान का नक्शा बना रहा है कोई.....ये उम्दा शेर हुआ है ..जैसे उपर से उतरा हुआ..बधाई आप को 

Comment by Samar kabeer on May 29, 2016 at 6:38pm
जनाब रिज़वान साहिब आदाब,ग़ज़ल के अरकान लिखना मंच का नियम है, उसका पालन करें ।
ग़ज़ल अच्छी कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
मतले का ऊला मिसरा साफ़ नहीं है, इस तरह लिखेंगे तो बात साफ़ हो जायेगी:-
"मिरे तड़पने पे क्यों मुस्कुरा रहा है कोई"
तीसरे शैर का ऊला मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है, देखिएगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 29, 2016 at 1:31pm

बहुत ही खूब.....बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 29, 2016 at 9:03am

आदरणीय रिज़वान भाई , सबसे पहले तो ये निवेदन है कि , ग़ज़ल के ऊपर बह्र का उल्लेख ज़रूर किया कीजिये , यहाँ सभी एक दूसरे से सीखते हैं , बह्र निकाल पाना सभी के लिये सरल नही है ।

आदरणीय , गज़ल बहुत अच्छी कही है , मुबारक बाद कुबूल कीजिये ।
सहूंगा कैसे मैं ग़म अर्से जुदाई का   -- इस मिसरे की तक्तीअ कर के एक बार और देखियेगा ।

हवाएं बुग्जो अदावत की लाख तेज़ सही
मग़र चराग़ वफ़ा के जला रहा है कोई   --- बहुत खूब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service