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ज़िन्दगी से जो मिला, अच्छा मिला (ग़ज़ल)

2122 2122 212

नेक-नीयत रख के आखिर क्या मिला
हर कदम पर हाँ मगर धोखा मिला

कौन दुश्मन,किसको कहते खैरख्वाह
हर कोई क़ातिल से मेरे था मिला

मांगने वालों की झोली ना भरी
जिसने ना माँगा उसे ज़्यादा मिला

यूं लगा कोई खज़ाना मिल गया
बीस पैसे का जब इक सिक्का मिला

बेवफ़ाई, बेबसी, ग़म, शाइरी
ज़िन्दगी से जो मिला अच्छा मिला
========================

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by जयनित कुमार मेहता on May 12, 2016 at 7:11am
आ. नादिर खान जी, आ. सौरभ जी, आ. मिथिलेश जी, आप सब का बहुत आभारी हूँ।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on May 3, 2016 at 4:34pm

आदरणीय जयनित भाई, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. आदरणीय निलेश जी, शानदार इस्लाह के लिए आभार.


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Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 8:03pm

आपकी इस ग़ज़ल पर हुई चर्चा ! वाह वाह वाह !

हार्दिक शुभकामनाएँ भाई.. 

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2016 at 5:34pm

उत्तम रचना सार्थक चर्चा वाह भाई वाह .. ऐसी  ज्ञान की बातें और कहाँ

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 7:27am
आदरणीय समर कबीर साहेब, बहुत बहुत धन्यवादी हूँ आपका।
मूल ग़ज़ल में आपके कथनानुसार संशोधन कर लिया है।
सादर!!
Comment by Samar kabeer on May 1, 2016 at 2:35pm
जनाब जयनित कुमार जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई बधाई स्वीकार करें ।

जनाब निलेश जी ने सारी बातें कह भी दीं और विस्तार से समझा भी दीं, इसके लिये वो बधाई के हक़दार हैं ।
मतले के ऊला मिसरे में "रख"शब्द मज़ा नहीं दे रहा,इसे इस तरह करलें तो कैसा रहे :-
"नेक नीयत रह के आख़िर क्या मिला"
बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 1, 2016 at 1:17pm
जी अच्छा!
इस चर्चा के लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ आपका।
सादर!!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 1:14pm

खैरख्वाह का अंतिम ह साइलेंट है खैरख्वा पढ़ा जाएगा अत: दोनों सूरत में मिसरा सही होगा 

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 1, 2016 at 1:05pm
किस को दुश्मन,खैरख्वाह किस को कहूँ
हर कोई क़ातिल से मेरे जा मिला

आपने इस मिसरे में "खैरख्वाह" का प्रयोग जिस जगह पर किया है, क्या उससे बह्र प्रभावित नहीं हो रहा है?

क्या इसको ऐसे नहीं कह सकते-

किस को दुश्मन,किस को समझूँ खैरख्वाह
हर कोई क़ातिल से मेरे जा मिला

अंत में "ह" साइलेंट हो गया।
बताएँ!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 1:00pm

कौन दुश्मन करने से एक है या था की आवश्यकता होगी 
किसको दुश्मन ..कहने से आगे वाला समझूँ दुश्मन और खैरख्वाह ..दोनों के लिए पूरा रहेगा ..
सादर 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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