For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिनरात चिरागों सा जला अपने वतन में

बह्र:-221-1221-1221-122

रुतबा -ए-उजाला है मिया अपने वतन में।
अब चैन मुहब्बत ओ मजा अपने वतन में।

अनपढ़ सा अंधेरा है मिटा अपने वतन में।
जैसे कोई खलिहान सजा अपने वतन में।।

वो रोज मुझे याद है वो ख़ूनी नजारा।
जब जुल्म से इन्सान लड़ा अपने वतन में।।

मुश्किल से हवा देश में लौटी है अमन की।
मजहब की न अब आग लगा अपने वतन में।।

बस चैन मुहब्बत -ओ-दुआ फर्ज के खातिर।
दिन रात चिरागों को जला अपने वतन में।।

आमोद बिन्दौरी
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 545

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 1:32am
Shukriya aap sabhi ka margdrshan ke liyr nmn
Comment by Samar kabeer on April 18, 2016 at 11:10pm
जनाब आमोद जी,आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"मुश्किल से हवा देश में लौटी है अमन की
मजहब की न अब आग लगा अपने वतन में"

ये शैर आपका बहुत उम्दा है लेकिन सही शब्द है "अम्न",'अमन' प्रचलन का शब्द है,बहतर यही होता है कि ग़ज़ल कहते वक़्त किसी भी शब्द को उसके सही रूप में ही बरता जाए ,ऊला मिसरा अगर इस तरह कर लें तो कैसा रहे ? :-

"मुश्किल से हवा अम्न की लौटी है यहाँ पर"

बाक़ी शुभ-शुभ ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 18, 2016 at 4:44pm
बधाई हो
Comment by Shyam Narain Verma on April 18, 2016 at 4:04pm
बहुत ही सुन्दर ,  हार्दिक बधाई आपको …………..
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2016 at 11:19am

आ0 भाई आमोद जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई l

Comment by amod shrivastav (bindouri) on April 18, 2016 at 7:31am
आ शुशील सर आ सुरेश कल्याण सर आप का तहेदिल से आभार नमन
Comment by Sushil Sarna on April 17, 2016 at 8:13pm

मुश्किल से हवा देश में लौटी है अमन की।
मजहब की न अब आग लगा अपने वतन में।।

बस चैन मुहब्बत -ओ-दुआ फर्ज के खातिर।
दिन रात चिरागों को जला अपने वतन में।।

बहुत खूब आदरणीय बिन्दौरी जी .... अमन और चमन के भावों से लबरेज़ इस दिलकश ग़ज़ल की प्रस्तुत्ति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 15, 2016 at 8:13am
दिल को छू लिया आपकी वाणी ने
जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है
बिन्दौरी साहब
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 15, 2016 at 8:11am
वाह बिन्दौरी साहब वाह अति उत्तम
बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर, नमस्ते अवश्य, कई कारणों से मैं मंच से दूर हो गया था। मैं कोशिश करूँगा कि सप्ताह में…"
9 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके शब्द-शब्द से मेरी स्वीकृति है आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी।"
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"नहीं, कहने का आशय सूचना और चर्चा के आधार पर ही निर्भर कर रहा है, आदरणीय.  कोई यूँ ही बरसर्क…"
40 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"  जी, आदरणीया प्रतिभा जी.  हम सभी आप जैसे संवेदनशील सदस्यों की संलग्नता और इनकी सतत…"
59 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मुझे लगता है कि जो भी चर्चा हो उसमें कोई ऐसा आक्षेप न आए जो किसी ऐसे व्यक्ति को आहत करे जो सीधे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार। नियमित सहभागी साथियों की रचना पटल पर उपस्थिति और प्रतिक्रिया से दिल ख़ुश हो जाता है।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आ. भाई शेख शहजाद जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदाब। रचना पटल पर उपस्थिति और प्रोत्साहन हेतु तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी।…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service