For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2212 121 1222 212

इतना कमाल हुस्न, दिखाया ही किसलिये।
होनी नही थी बात, बुलाया ही किसलिये।।

मौका नहीं था देना, इबादत का ग़र हमें।
बुत से भला नक़ाब, हटाया ही किस लिये।।

सुननी नहीं थी तुमको, अगर मेरी आरज़ू।
फिर नाम का भजन ये, सिखाया ही किसलिये।।

हम भूल ही गये थे, कि लेनी है साँस भी।
जब मारना ही था तो, जिलाया ही किसलिये।।

अरमान सब थे दफ़्न, सुकूँ में बहुत थे हम।
बर्बाद गुल था करना, खिलाया ही किसलिये।।

मौलिक तथा अप्रकाशित

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 8, 2016 at 10:55pm
आदरणीय मिथिलेश सर सादर धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 7, 2016 at 12:26am

बहुत खूब 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 6, 2016 at 8:50am
आदरणीय समर कबीर सर संशोधन कर दिया है, सादर।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 5, 2016 at 7:13pm
आदरणीय समर कबीर सर, सादर प्रणाम। सुझाव के अनुरूप आगे से उचित शब्द ही प्रयुक्त होगा। सादर
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 5, 2016 at 7:12pm
आदरणीय तेजवीर सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 5, 2016 at 7:12pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी सर, सादर धन्यवाद
Comment by Samar kabeer on March 5, 2016 at 6:00pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
आख़िरी शैर, में सही शब्द "दफ़्न"है, आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं
Comment by TEJ VEER SINGH on March 5, 2016 at 3:44pm

हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज मिश्र जी!बेहतरीन गज़ल!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 11:23am

बहुत ही लाज़वाब हार्दिक बधाई पंकज भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service