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मेरे घर के बगल कौन है ?

मेरे घर के बगल कौन है ?

सन्त महाजन या आतंकी

मंथन आओ कर लें प्यारे

भूख है हम को कितनी धन की ,,,

-------------------------------------

प्रेम क्रोध या घृणा ईर्ष्या

जांचो परखो क्या कुछ  देते

मारो-काटो ले लो बदला ??

जीवन क्षण भंगुर कर देते ..

-----------------------------------

मानव योनि है दुष्कर पाए

संस्कार भारत भू आये

अच्छा -अच्छाई आ चुन लें

घर आँगन से नीव ये रख लें ..

------------------------------------

मात-पिता सन्तति मन झांकें

सखा भाव रख मन को आंकें

कौन कोयला- हीरा परखें 

बनें जौहरी सदा तराशें  ...

-----------------------------------

अन्धकार जब बंद द्वार हों

निरखें आओ भरें उजाला

नफरत घृणा अकेलेपन को

दूर करें रख भाई चारा ..

-----------------------------------

बारूदों विस्फोट में जल-जल

क्यों मरते घुट जलते तिल-तिल

ज्वालाओं से जल सब हारा

खो अपना जग कौन है जीता ...

--------------------------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू हिमाचल भारत

२५-जनवरी -२०१६

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Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 2:15am

सुन्दर प्रयास है आ. सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी ,बधाई आपको इस रचना पर !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on January 29, 2016 at 7:25pm

आदरणीया डॉ प्राची  जी प्रोत्साहन हेतु आभार रचना के भाव आप को अच्छे लगे सुन हर्ष हुआ शिल्प में मेहनत
की कोशिश होगी कभी वक्त मिले तो कुछ पंक्तियों में सुधार  सुझाएं स्वागत होगा जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on January 29, 2016 at 7:23pm

सतविंदर जी प्रोत्साहन हेतु आभार रचना के भाव आप को अच्छे लगे सुन हर्ष हुआ
भ्रमर ५

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 29, 2016 at 2:58pm
सुन्दरम्।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 29, 2016 at 12:49pm
सुन्दर भाव है प्रस्तुति के, लेकिन शिल्प अभी थोडा सा कमज़ोर लगा
अभिव्यक्ति पर बधाई प्रेषित है आ0 सुरेन्द्र शुक्ल जी

कृपया ध्यान दे...

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