For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिकन भरा लिबास....

शिकन भरा लिबास......

ये सुर्ख सी आँखें
बिखरी हुई जुल्फें
शिकन भरा लिबास देख
आज अपने ही दर्पण में
मैं लुटी नज़र आती हूँ //
हर शब की तरह
जो आज भी
इस जिस्म को रूहानी ज़ख़्म दे गया
फिर उसी के साथ बेवजह
जीने की ज़िद कर जाती हूँ //
जानती हूँ
वो फिर कुछ पल के लिए आएगा
अपने दिए ज़ख्मों पे
झूठे वादों का मरहम लगाएगा
मैं उसकी बातों में आजाऊंगी
भूल जाऊँगी दर्द ज़ख्मों का
और अपना अस्तित्व भी भूल जाऊँगी //
झूठा ही सही
फिर भी उस पल के लिए
उस खारे सागर की लहर बन
उसमें समा जाऊँगी //
फ़रेब ही सही
पर उस फ़रेब के लिए
मैं तमाम शब्
उसके इंतज़ार में सहर तलक 
इक चराग जलाऊँगी //
लूट जाऊँगी मगर
अपनी क़बा की शिकन
कभी न मिटाऊँगी//

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 512

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 8, 2016 at 12:36pm

आदरणीय उस्मानी साहिब प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय सराहना का दिल से आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 10:08pm

आदरणीय सुशील सरना भाई , बहुत सुन्दर !! एक और अच्छी कविता के लिये आपको हादिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on January 7, 2016 at 7:16pm

आदरणीय उस्मानी साहिब प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय सराहना का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 7, 2016 at 7:16pm


आदरणीय समीर कबीर जी प्रस्तुति को इतना मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 7, 2016 at 7:02pm
प्रतीकों/बिम्बों से सच्चाई बयान करती प्रस्तुतिकेलिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको जनाब सुशील सरना जी।
Comment by Samar kabeer on January 7, 2016 at 5:30pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर,ख़ूबसूरत भाव वाह वाह बहुत आनन्द आया,बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
19 minutes ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
7 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
20 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service