For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये पेट्रोल डीजल बढ़े या किराया मुझे क्या ( व्यंग ग़ज़ल 'राज')

उड़ाया किसी ने किसी ने कमाया मुझे क्या

कहाँ अब्र बरसा कहाँ धूप छाया मुझे क्या  

 

जहाँ पे खड़ा था वहीँ पे खड़ा हूँ कसम से  

पुराना गया है नया साल आया मुझे क्या

 

सदा ये सलामत रहें पाँव मेरे सफ़र में     

ये पेट्रोल डीजल बढ़े या  किराया मुझे क्या

 

नया साल आया मची हाय तौबा, बला से

कहाँ कुछ करिश्मा खुदा ने दिखाया मुझे क्या?

 

न मेरा मुकद्दर हुआ टस से मस तो फिर क्यूँ

वही गीत गाऊँ उन्होंने जो गाया मुझे क्या

 

मेरे तो कटोरे में सूखे निवाले पड़े हैं  

कहाँ किसने हलवा  या पकवान खाया मुझे क्या

 

वही मेरी झुग्गी पुरानी सी खटिया व चप्पल

वही मेरी सूरत वही मेरा साया मुझे क्या  

 

 

मेरे आम दिल तक न अब ख़ास आवाज जाती

नई हसरतों ने अगर खटखटाया मुझे क्या

.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 8, 2016 at 7:14pm

आ० रवि शुक्ला जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया मैं आपको बता दूँ मैं अमूमन ऐसा करने की हिमाकत नहीं करती किन्तु इस ग़ज़ल की डिमांड को देखते हुए अरकान बढ़ाने  पड़े इसके बाद भी पाठक ग़ज़ल  का आनंद उठा रहे हैं तो ये प्रसन्नता की बात है |आपका आभार |

Comment by Ravi Shukla on January 8, 2016 at 5:28pm

आदरणीया राजेश जी बहुत बहत बधाई इस ग़ज़ल के लिये थोड़ा हमारा भी खयाल रखा करिये दीदी :-) चर्चा को पढ़ने के बाद इसकी बह्र की जानकारी हुई फिर दुबारा से उसे उसी प्रवाह से पढ़ा तो आनदं आया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 2:21pm

आ० गिरिराज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया तहे दिल से शुक्रिया आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 2:20pm

सतविंदर कुमार जी, दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 12:29pm

आदरणीया राजेश जी , खूबसूरत तंजिया गज़ल कही है आपने , दिली मुबारकबाद कुबूल करें ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 12:55pm

आभार भाई जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2016 at 10:53am
बेहद उम्दा ग़ज़ल आदरणीया
Comment by Samar kabeer on January 6, 2016 at 10:35am
"मेरे तो"को में 222 गिन रहा था इसकी वजह से ये शंका हुई बहना,समाधान कर दिया आपने,शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 9:49am

आ० तेजवीर सिंह जी ,आपका दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 9:48am

आ० समर कबीर भाई जी आपने जिस मिसरे पर शंका जताई है ---मेरे तो/१२२  कटोरे/१२२  में सूखे/१२२  निवाले/१२२  पड़े हैं/१२२ ...अब मुझे तो समझ नहीं आ रहा भाई  जी कहाँ  चूक  है सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service