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ये पेट्रोल डीजल बढ़े या किराया मुझे क्या ( व्यंग ग़ज़ल 'राज')

उड़ाया किसी ने किसी ने कमाया मुझे क्या

कहाँ अब्र बरसा कहाँ धूप छाया मुझे क्या  

 

जहाँ पे खड़ा था वहीँ पे खड़ा हूँ कसम से  

पुराना गया है नया साल आया मुझे क्या

 

सदा ये सलामत रहें पाँव मेरे सफ़र में     

ये पेट्रोल डीजल बढ़े या  किराया मुझे क्या

 

नया साल आया मची हाय तौबा, बला से

कहाँ कुछ करिश्मा खुदा ने दिखाया मुझे क्या?

 

न मेरा मुकद्दर हुआ टस से मस तो फिर क्यूँ

वही गीत गाऊँ उन्होंने जो गाया मुझे क्या

 

मेरे तो कटोरे में सूखे निवाले पड़े हैं  

कहाँ किसने हलवा  या पकवान खाया मुझे क्या

 

वही मेरी झुग्गी पुरानी सी खटिया व चप्पल

वही मेरी सूरत वही मेरा साया मुझे क्या  

 

 

मेरे आम दिल तक न अब ख़ास आवाज जाती

नई हसरतों ने अगर खटखटाया मुझे क्या

.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

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Comment by rajesh kumari on January 8, 2016 at 7:14pm

आ० रवि शुक्ला जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया मैं आपको बता दूँ मैं अमूमन ऐसा करने की हिमाकत नहीं करती किन्तु इस ग़ज़ल की डिमांड को देखते हुए अरकान बढ़ाने  पड़े इसके बाद भी पाठक ग़ज़ल  का आनंद उठा रहे हैं तो ये प्रसन्नता की बात है |आपका आभार |

Comment by Ravi Shukla on January 8, 2016 at 5:28pm

आदरणीया राजेश जी बहुत बहत बधाई इस ग़ज़ल के लिये थोड़ा हमारा भी खयाल रखा करिये दीदी :-) चर्चा को पढ़ने के बाद इसकी बह्र की जानकारी हुई फिर दुबारा से उसे उसी प्रवाह से पढ़ा तो आनदं आया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 2:21pm

आ० गिरिराज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया तहे दिल से शुक्रिया आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 2:20pm

सतविंदर कुमार जी, दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 12:29pm

आदरणीया राजेश जी , खूबसूरत तंजिया गज़ल कही है आपने , दिली मुबारकबाद कुबूल करें ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 12:55pm

आभार भाई जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2016 at 10:53am
बेहद उम्दा ग़ज़ल आदरणीया
Comment by Samar kabeer on January 6, 2016 at 10:35am
"मेरे तो"को में 222 गिन रहा था इसकी वजह से ये शंका हुई बहना,समाधान कर दिया आपने,शुक्रिया

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Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 9:49am

आ० तेजवीर सिंह जी ,आपका दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 9:48am

आ० समर कबीर भाई जी आपने जिस मिसरे पर शंका जताई है ---मेरे तो/१२२  कटोरे/१२२  में सूखे/१२२  निवाले/१२२  पड़े हैं/१२२ ...अब मुझे तो समझ नहीं आ रहा भाई  जी कहाँ  चूक  है सादर 

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