For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मायरा ( लघु कथा ) जानकी बिष्ठ वाही

मानों कयामत बरपा हो गई। पूरा शहर लबालब भरा है।चारों ओर त्राही-त्राही मची हुई है। शिवानी प्रसव वेदना से तड़प रही है। शरद पैदल ही उसे अस्पताल ले जा रहा है
"अब बचना मुश्किल है।"कराहते हुए शिवानी बोली।
पानी गले-गले तक पहुँच गया।जीवन की आशा क्षीण हो चली है। एक अज़नबी तैरता हुआ करीब आया।
"मैं आप लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने आया हूँ।"
उसकी मदद से शरद समय पर शिवानी को अस्पताल पहुंचाने में सफ़ल हो गया।
"शुक्रिया ! आज़ तुम न होते तो जाने क्या होता? "शरद ने कहा।
"ये तो मेरा फ़र्ज़ था।अब चलूँगा।"
" क्या मैं हमें बचाने वाले फ़रिश्ते का नाम जान सकता हूँ।"
"मीर अनवर , एम.बी.ए. कर रहा हूँ।"
"बधाई ! बिटिया हुई है।"नर्स आकर बोली।
भाग कर शरद ,शिवानी के पास पहुंचा और चाँद के टुकड़े को गले लगाकर बोला -
"शिवानी हम इसका नाम मायरा रखेंगें ।"
"मायरा ? ये तो मुस्लिम नाम है।आप लोग तो हिन्दू हो ना ?" नर्स बोली।
"ये हमारा इंसानियत को शुक्रिया कहने का तरीका है। अगर आज़ मीर अनवर न होता तो मायरा मेरी गोद में न होती।उसने हमें बचाते समय ये कहाँ सोचा कि वह मुसलमान को बचा रहा है या हिंदू को।"कह शरद ने प्यार से बिटिया को निहारा।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 817

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 10:51am

KOTI-KOTI NAMAN .

Comment by Rita Gupta on January 30, 2016 at 1:48am

बहुत  ही अच्छी संवेदनशील प्रस्तुति .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 7, 2016 at 7:14pm

बहुत शानदार लघु कथा देर से आने का खेद है ...दिल से बधाई लीजिये जानकी जी .

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 2:18pm

इस अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया जानकी जी।

Comment by Janki wahie on December 12, 2015 at 9:39pm
आ.नीता कसार जू हार्दिक अभिनन्दन अति सुंदर सार्थक टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए।नमन।
Comment by Janki wahie on December 12, 2015 at 9:37pm
तहेदिल से शुक्रिया प्रिय राहिला। कितना सुंदर लिखती हो आप सरस,सुंदर , प्रवाह्युक्त । मन मोह लेती है आपकी लेखनी।
Comment by Nita Kasar on December 12, 2015 at 8:54pm
इंसानियत से बडा कोई धर्म नही होता जब कई मददगार बन कर आये तो वह देवतुल्य हो जाता है धर्म के रूप तो हमने ही बनाये है बहुत ही सराहनीय कथा के लिये हार्दिक बधाई आद०जानकी वाही जी ।
Comment by Janki wahie on December 11, 2015 at 2:31pm
सादर आभार शहज़ाद जी आपकी सार्थक टिप्पणी ने कथा में ज़ान डाल दी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 11, 2015 at 12:45pm
वक़्त की माँग के अनुरूप सार्थक प्रेरक रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया जानकी वाही जी।
Comment by Rahila on December 11, 2015 at 11:30am
अरे वाह.. .प्रिय जानकी दी!यूं तो सोचा ही नहीं मायरा का अर्थ । आपने तो नाम के अर्थ से पूरी रचना में ही जान डाल दी । अदभुत । बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिये, बहुत बढ़िया विषय और उससे कही ज्यादा अच्छी प्रस्तुति । बहुत बधाई आपको । सादर नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service