For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एम॰ बी॰ ए॰ बहू -( लघुकथा )-

सुनयना की शादी को अभी तीन महीने ही हुए थे कि उसकी सास का फ़ोन आगया,"समधन जी, ज़रा फ़ुरसत निकाल कर अपनी लाडली को ले जाना"! और आगे बिना कुछ कहे सुने फ़ोन काट दिया!शाम को सुनयना के मॉ बापू पहुंच गये उसके ससुराल!

"कोई भूल हो गयी क्या हमारी सुनयना से"!

"नहीं जी, भूल तो हमसे हुयी जो इसकी भोली सूरत और एम. बी. ए. की डिग्री से धोखा खा गये"!

"आखिर हुआ क्या, बहिनजी, कुछ बताइये तो सही"!

"कोई एक बात हो तो बतायें! बिना उठाये सुबह उठती नहीं, महारानीजी, बिस्तर पर ही चाय चाहिये,रसोई के काम से सख्त परहेज़,राजू के आफ़िस जाते ही कमरा बंद कर ए. सी. चलाकर टी .वी. और लैप टॉप से चिपक जाना!दोपहर का खाना ,शाम की चाय और रात का खाना भी कमरे में!सास ससुर से कोई वास्ता ही नहीं"!

"असल में इकलौती संतान थी तो थोडा लाड प्यार में पली है"!

"हम नहीं दे सकते इतना लाड प्यार,बेहतर यही होगा कि इसे आप ले जाइये और इसे माटी की बन्नो से एक सुघड बहू बना कर ही वापस लाइये"!

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Archana Tripathi on October 16, 2015 at 1:08am
स्त्री के कमजोर पक्ष को दर्शाती बढ़िया लघुकथा ।स्त्री अपने स्त्रियोचित गुण भुल कर सम्मान नहीं पा सकती ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 15, 2015 at 8:36am
आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी, मेरे विचार से कथा में एम. बी. ए. डिग्री पर ताना इसलिए मारा गया है कि बहू घर का मैनेजमेंट तक तो सही तरीके से संभाल नहीं रही है, केवल मोबाइल, गेम, नेट जैसी चीजों में व्यस्त रहकर रिश्तों का मैनेजमेंट भी सही ढंग से नहीं कर पा रही है। यहां नौकरी का संदर्भ है ही नहीं।सादर क्षमा सहित।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 14, 2015 at 10:06pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!आपने लघुकथा को समय दिया !विस्तार से विवेचना की!कमज़ोर पक्ष उजागर किया!शायद नयी ज़गह पर व्याह कर आये बहू को तीन महीने ही हुए थे तो हो सकता है जॉब की तलाश में हो!कुछ परिवार ऐसे भी होते हैं कि बहु तो शिक्षित चाहिये मगर जोब नहीं करायेंगे!आपका पुनः आभार!

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 14, 2015 at 7:04pm
बहू एम बी ए है , पर जॉब में नहीं है , कुछ अटपटा सा नहीं लगता है। यह कहानी का कमजोर पक्ष बन रहा है।
दूसरी बात - हम एक चीज़ हासिल कर दूसरी तमाम चीज़ें छोड़ देते हैं , दुनिया में हम ही शायद ऐसे हैं. वरना घर - परिवार चलाना किस स्त्री- पुरुष को नहीं आता , सोचना या स्वीकार करना कठिन हो जाता है। उच्च - शिक्षा का यह मतलब तो बिलकुल नहीं है कि जिंदगी की बुनियादी आवश्यकताओं को बिलकुल विस्मृत कर दिया जाए। इस पक्ष को उठाने के लिए , बधाई, आदरणीय तेज वीर सिंह जी , सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 14, 2015 at 2:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!लघुकथा को अपना अमूल्य समय दिया, सराहना की ,साथ ही कितनी बारीकी से विशलेषण किया!पुनः आभार!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 1:25pm
मनोविज्ञान का समुचित ज्ञान तीन स्तर पर बुरी स्थिति में है-1-माँ-बाप, 2- सास-ससुर, 3- बेटी/बहू ......[1]- माँ-बाप इकलौती संतान का व्यक्तित्व बिगाड़ते हैं, [2]- दहेज़ /खूबसूरती/उच्च शिक्षा की लालच में इकलौती बेटी को बहु बना कर लाने वाले सास-ससुर को तमीज़ नहीं होती उसके मनोविज्ञान को समझने की, [3]-- ऐसी बेटी/बहू को ससुराल वालों के साथ मनोवैज्ञानिक तालमेल जमाने की तमीज़ नहीं होती। आशय यह कि सभी जब दोषी हों तो सज़ा क्यों, शोषण-अन्याय क्यों? ये सवाल उठा रही है आपकी रचना आदरणीय Tej Veer Singh जी। बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
4 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
22 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
31 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
33 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
36 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service