For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाठ गीता का सुनाने के लिए आया नहीं

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212
==================================
मैं समस्यायें गिनानें के लिए आया नहीं।
धर्म नैतिकता सिखानें के लिए आया नहीं।।

सो रहे हैं आत्मा को बेचकर इंसान जो।
मत डरें उनको जगानें के लिए आया नहीं।।

जानता हूँ कल्कि युग की मान मर्यादा भी है।
नीतिगत बातें बतानें के लिए आया नहीं।।

तुम मगन अपनी लगन में ही रहो ओ साथियों।
राह में कंटक बिछाने के लिए आया नहीं।।

आचरण की सीख दूं, मुझको भला क्या गर्ज है।
कर्म के फल से डराने के लिए आया नहीं।।

भार कुछ सर पे तुम्हारे भी है मुझको ज्ञात है।
धर्म के पथ पर ले जानें के लिए आया नहीं।।

किसलिए आखिर भला मैं दूं दुहाई सृष्टि की।
मैं प्रलय का भय दिखानें के लिए आया नहीं।।

घोर लिप्सा लोभ के वश में सभी हैं क्या हुआ।
आवरण भ्रम का मिटानें के लिए आया नहीं।।

कर्म करिये फल की चिंता आप मुझ पर छोड़िये।
पाठ गीता का सुनानें के लिए आया नहीं।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 5, 2015 at 10:48pm
आदरणीय विजय शंकर सर
ग़ज़ल की सराहना के लिए आपको सादर आभार;
आपको सादर प्रणाम्।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 10:20pm

बहुत ख़ूब आ० भाई पंकज जी हार्दिक बधाई इस हिंदी गज़ल के लिए!

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 5, 2015 at 10:08pm
सो रहे हैं आत्मा को बेचकर इंसान जो।
मत डरें उनको जगानें के लिए आया नहीं।।
बहुत खूब, आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी , बधाई , सादर।
Comment by Sushil Sarna on October 5, 2015 at 6:46pm

कर्म करिये फल की चिंता आप मुझ पर छोड़िये।
पाठ गीता का सुनानें के लिए आया नहीं।।
एक सार्थक संदेश देती बहुत सुंदर प्रस्तुति … हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 5, 2015 at 2:04pm
सादर अभिवादन आदरणीय राम अवध सर; शुरुवात "मैं" से ही है।।
सुझाव के लिए हार्दिक आभार।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 4, 2015 at 7:49pm
आदरणीय मतला में शुरुआत शब्द "मैं" से करें तो मतला बह्र में आ जायेगा गजल अच्छी है बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
14 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
16 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service