1212--- 1122---1212---22 |
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अगर नहीं था यकीं क्यों हलफ उठा आया |
ज़रा सी बात पे फिर आज मुँह फुला आया |
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पहाड़ कौन सा टूटा, जो तेरी बातों में |
मैं अपनी बात भी उसको अगर सुना आया |
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जो कब्र सा है अकेला, मज़ार सा तन्हां |
वो मेरे घर का पता इस तरह बता आया |
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वे आदमी हैं, शिकायत मगर नहीं करते |
बड़े जतन से चले तब ये सिलसिला आया |
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मैं रौशनी के भरोसे था अब तलक लेकिन |
वो एक शाम मेरे नाम से लिखा आया |
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उसे जरा भी सलीका नहीं इबादत का |
हवन किया भी तो अपना ही घर जला आया |
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तुम्हारे झूठ से कितना हुआ पशेमाँ मैं |
तुम्हारे सच से भी परदा मगर उठा आया |
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वो हँस रहा था मेरे दर्द के मुक़ाबिल तो |
मैं वाकिया था उसे आइना दिखा आया |
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वहाँ पे लौट के पंछी कभी नहीं आए |
अजीब तौर से बरगद कोई हिला आया |
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नसीब आस का इतना बिगड़ गया कैसे ? |
चमन के साथ में इस बार हादसा आया |
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जो शाम तक भी मसाइल पे कुछ न बोला तो |
मैं आफ़ताब समंदर में ही गिरा आया |
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Comment
आदरणीय समर कबीर जी, तक़ाबुल-ए-रदीफ़ का शिकार शेर मैं खुद सुधार नहीं पाया इसलिए वैसे ही पोस्ट कर दिया. आपसे मार्गदर्शन का निवेदन है. आप जैसे उस्ताद से दुआएं पाकर मुग्ध हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीया राजेश दीदी, गलती तो रोज़ करता हूँ, हर ग़ज़ल में कुछ न कुछ रह ही जाता है. लेकिन ये ग़ज़ल 20 दिन तक होल्ड पर रही और परिणाम वही ....
खैर आपकी सूक्ष्म दृष्टि से कभी कुछ नहीं छूट सकता और इस बहाने आपका मार्गदर्शन भी मिल जाता है.
सादर
वैसे मुझे पहले ही लग रहा था की किसी जल्दी के कारण ही ये त्रुटी छूट गई होगी वरना आप जैसे ग़ज़लकार से गलती हो जाए ये विश्वास से परे है :-)))
आदरणीय गिरिराज सर, 'था' करना उचित होगा. आपके मार्गदर्शन अनुसार सुधार करता हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीया राजेश दीदी, कुछ ज्यादा ही सावधानी बरत ली मैंने. जिस ग़ज़ल को संशोधित किया था उसे पोस्ट नहीं कर मूल ग़ज़ल को ही पोस्ट कर दिया. आपके मार्गदर्शन अनुसार त्रुटी सुधारता हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीय शिज्जु भाई जी, उक्त त्रुटियाँ सुधारता हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीय रवि जी आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीय श्याम नरेन् जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
आदरणीय दिनेश भाई जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद, सादर
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