For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चेतना की चाभी /लघुकथा / कान्ता राॅय

आज भी आँख खुलते ही रोज की ही तरह सुबह -सुबह इंतज़ार किया उसका । दरवाजा खोला ही था कि सायकिल पर चढा दुबला सा लडका दरवाजे पर चेतना की चाबी फेंक गया । रोज की ही तरह ऐसे लपककर स्वागत किया मानो बरसों से इंतज़ार किया हो उसका । अंदर ले आया और टेबल पर फैला कर परत -दर- परत तहों को खोलता गया ।चेतना मन- पौध खुलकर कुलबुलाती हुई जन्म से परिपक्व होने तक का सफर शनैः शनैः तय करने लगी ।तहें अब अपने आखिरी विराम को पहुँच , मन को गहन चिंतन में डाल ...... चेतना अपने सम्पूर्ण यौवन में स्थापित थी । तभी सहसा घड़ी पर नजर पडीं । समेटकर सब जल्दी से रोजमर्रा के काम की ओर बढते हुए .....अब चेतना का ढलान हावी हो चला था । दिन ढलनें तक जिंदगी की कचर - पचर मन - मस्तिष्क पर हावी हो चुकी थी और चेतना विसर्जित ।

आदमी सो चुका था और चेतना मर चुकी थी तब तक के लिए , जब तक फिर सुबह घर के दरवाजे पर सायकिल चलाता हुआ लडका चेतना की चाभी उसके दरवाजे आकर फिर फेंक नहीं जाता ।


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1371

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on May 5, 2018 at 6:01pm

बहुत ही सुंदर शब्दों में चेतन मानव की दुनियां पर व्याख्या की.बधाई हो.

Comment by Archana Tripathi on August 16, 2015 at 12:34am
बेहतरीन प्रस्तुति।
Comment by pratibha pande on August 15, 2015 at 9:28am
आपने चेतना शब्द को केंद्र में रखकर आधुनिक समाज की खोखली होती जा रही चेतना पर जो व्यंग कसा है वो सचमुच गूढ़ है . आज हमारी सारी चेतना ,सारी जागरूकता सिर्फ ख़बरों तक सीमित हो गई है ,हम सुबह अखबार पढ़कर होंठ गोल करते हैं ,आंखे बड़ी करते है मुट्ठियाँ भींचते हैं , लो चेतना हो गई पूरी अब काम पे चलो , आदमी सो गया चेतना मर गई दूसरे दिन की नयी चेतना आने तक . झंकझोरती हुई रचना है बधाई आपको आ० कांता जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 14, 2015 at 9:19am

ख़बरों का महत्त्व बताती बढ़िया प्रस्तुति ....बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मयंक जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार kijiye गुणीजनों की टिप्पणियाँ…"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही अपने बधाई स्वीकार kijiye  गुणीजनों की इस्लाह और…"
5 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमीर जी  हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आपका  सीखने की कोशिश ज़ारी रहेगी…"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी  बहुत शुक्रिया आपका ,  फिर प्रयास करती हूँ  सादर "
16 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मेरे अनुभव आपके मुहावरों के गुलाम हों ये ज़रूरी तो नहीं।"
1 hour ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत खूब, आदरणीय ... सादर प्रणाम ! बेहद खूबसूरत मक़्ते के साथ एक बेहतरीन प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपकी इस बात का कोई अर्थ नहीं निकल रहा। घड़ी भर का फ़र्क़ न मुहावरा है ना कहावत।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मंजुल मयंक जी आदाब, आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ, आपसे गुज़ारिश है कि कुछेक दर्जन गुज़िश्ता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, आपकी ग़ज़ल के अशआर बहुत अच्छे साँचे में ढाले गये हैं मह्ज़ तराशने…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सफलता घड़ी देख कर नहीं जुनून से मिलती है। आंतरप्रेन्योर और नौकर में सिर्फ घड़ी भर का फ़र्क है"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"//कहा ये मुझ से कई कामयाब लोगों ने न वक़्त देख कभी काम में घड़ी न मिला// //घड़ी मिलाना तो समय का…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service