For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल चाहता है तुझसे कभी, ना गिला करूँ

2212       1221      2212     12

दिल चाहता है तुझसे कभी, ना गिला करूँ,
इस ज़िन्दगी में तुझसे यही सिलसिला करूँ |

दिन भर शराब पी के हुआ,था मैं दरबदर,
अब ढूंढता हूँ चादर ग़मों की सिला करूँ |

नफरत थी जिन दिलों में, भुलाया नहीं मुझे,
दिल में बता खुदा, उनके, कैसे खिला करूँ |

अमन-ओ-अमां के साये ही जिनसे नसीब हो,
ऐसे चमन  जमी दर ज़मीं  काफिला करूँ |

तन्हा है सब सफ़र और तनहा हैं रास्ते,
अब सोचता हूँ तुझसे यहाँ ही मिला करूँ |



मौलिक व अप्रकाशित © हर्ष महाजन

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on August 10, 2015 at 1:41pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी सराहनीय शब्दों के लिए आपका दिल से आभार !!
आदरणीय समर जी केलिए बिलकुल सही कहा आपने सर !!

साभार !!

Comment by Ravi Shukla on August 10, 2015 at 1:31pm

आदरणीय हर्ष जी

ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें ।

आदरणीय समर कबीर जी के किसी शेर पर इस्‍लाह से न केवल शाइर बल्कि पाठक भी लाभन्वित होते है ।

Comment by Harash Mahajan on August 10, 2015 at 12:26pm

आ० मिथिलेश वामनकर जी आपकी दाद सर आँखों पर सर !!
जी हाँ समर साहिब के मार्गदर्शन में ये ग़ज़ल ने अपना रूप लिया है | तह-ए-दिल से ओ बी ओ तथा आप सब का शुक्रगुजार हूँ | साभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 11:47am

आदरणीय हर्ष जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है, आदरणीय समर कबीर जी की इस्लाह से अशआर निखर गए है.  शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Harash Mahajan on August 9, 2015 at 8:36pm

ग़ज़ल का पूर्ण स्वरुप कुछ यूँ हुआ ....

दिल चाहता है तुझसे कभी, ना गिला करूँ,

इस ज़िंदगी को तुझसे कभी क्यूँ जुदा करूँ |

दिन भर शराब पीता हूँ रोता हूँ दरबदर,
ज़ख्मों भरे मैं सीने को ऐसे सिया करूँ |

 

नफरत थी जिन दिलों में, भुलाया नहीं मुझे,
उनके दिलों में कैसे खुदाया खिला करूँ |

अमन-ओ-अमां के साये ही जिनसे नसीब हो,

ऐसे शज़र ज़मीं पे लगाता चला करूं |


 माना कि वो न दोस्त न दुश्मन रहा मगर,
सो 'हर्ष' सोचता हूँ मैं उस से मिला करूँ ।

०००

Comment by Harash Mahajan on August 9, 2015 at 8:34pm

आ० समर कबीर जी आपके मार्ग दर्शन का बहुत बहुत शुक्रिया !!!

Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 4:06pm
जी,अब ठीक है,बधाई हो ।
Comment by Harash Mahajan on August 9, 2015 at 2:39pm
एक और कोशिश आखिरी शेर पर.....

माना कि वो न दोस्त न दुश्मन रहा मगर,
सो 'हर्ष' सोचता हूँ मैं उस से मिला करूँ ।
000
Comment by Samar kabeer on August 8, 2015 at 11:04pm
"जो लोग बो रहे हैं मेरी राह में कांटे"

ये मिसरा ठीक नहीं हुवा है,अब भी बह्र से ख़ारिज है,फिर से कोशिश करें ।
Comment by Harash Mahajan on August 8, 2015 at 8:54pm

आखिर शेर के मिसरा-ए-ऊला में थोड़ी एडिट ...

दिल चाहता है तुझसे कभी, ना गिला करूँ,

इस ज़िंदगी को तुझसे कभी क्यूँ जुदा करूँ |

दिन भर शराब पीता हूँ रोता हूँ दरबदर,
ज़ख्मों भरे मैं सीने को ऐसे सिया करूँ |

 

नफरत थी जिन दिलों में, भुलाया नहीं मुझे,
उनके दिलों में कैसे खुदाया खिला करूँ |

अमन-ओ-अमां के साये ही जिनसे नसीब हो,

ऐसे शज़र ज़मीं पे लगाता चला करूं |


  जो लोग बो रहे हैं मेरी राह में  कांटे,
अब ‘हर्ष’ सोचता हूँ मैं उनसे मिला करूँ |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service