For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ क्षणिकाएँ :.....

कुछ क्षणिकाएँ :
१.
कितना अद्भुत है
ये जीवन
कदम दर कदम
अग्रसर होता है
एक अज्ञात
संपूर्णता की तलाश में
और ब्रह्मलीन हो जाता है
एक अपूर्णता के साथ

२.
छुपाती रही
जिसकी मधु स्मृति को
अपने अंतस तल की गहराई में
वो खारी स्याही से 
कपोल पर ठहर
इक बूँद में
विरह व्यथा का
सागर लिख गया

३.
मैंने सौंप दिया
सर्वस्व अपना
जिसे अपना मान
छल गया वही
पावन प्रीत को
एक निष्ठुर स्वप्न तरह
बन कर अंजान

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 433

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2015 at 12:24pm

आदरणीय  shree suneel  जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2015 at 12:24pm

आदरणीय  rajesh kumari जी मेरे प्रयास को आत्मीय सम्मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by shree suneel on August 5, 2015 at 1:11am
आदरणीय सुशील सरना सर, गहरे भावों को समेटे इन क्षणिकाअों के लिए बधाई आपको.
'छुपाती रही
जिसकी मधु स्मृति को
अपने अंतस तल की गहराई में
वो खारी स्याही से
कपोल पर ठहर
इक बूँद में
विरह व्यथा का
सागर लिख गया'... ओह!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 4, 2015 at 8:43pm

वाह वाह हर क्षणिका पर दिल से वाह  निकल रही है बहुत शानदार लिखा है आपने आ० सुशील सरना जी दिल से बधाई लीजिये 

Comment by Sushil Sarna on August 4, 2015 at 7:37pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी मेरे प्रयास को आत्मीय सम्मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on August 4, 2015 at 7:02pm

आदरणीय मोहन सेठी जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 5:30pm

आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत शानदार क्षनिकाएं हुई है. पहली क्षणिका की गहराई और वैचारिक कथ्य  ने मुग्ध कर दिया. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई....// कितना अद्भुत है / ये जीवन / कदम दर कदम / अग्रसर होता है  / एक अज्ञात / संपूर्णता की तलाश में / और ब्रह्मलीन हो जाता है / एक अपूर्णता के साथ.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 5:15pm

आदरणीय Sushil Sarna जी बहुत मार्मिक वर्णन ...हार्दिक बधाई 

वो खारी स्याही से 
कपोल पर ठहर 
इक बूँद में 
विरह व्यथा का 
सागर लिख गया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service