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" ये कैसा बकवास प्रोजेक्ट तैयार किया है । छोड़ो , तुमसे न होगा ।अब सुरेखा ही इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी । " कहते हुए प्रोजेक्ट की ' हार्ड कॉपी 'अनीता के बॉस ने अपने पास रख ली ।
आज सुरेखा को उस प्रोजेक्ट को प्रजेंट करना था । प्रोजेक्टर पर प्रजेंटेशन चल रहा था , अनीता विस्मित हो मामूली हेर-फेर से अपने ही प्रोजेक्ट पर तालियों की चुभन महसूस कर रही थी ।सहसा उसकी नज़रें बॉस की ओर घूम गईं , जो शरारती अंदाज़ में कह रही थीं , " और झटको मेरा हाथ ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by TEJ VEER SINGH on July 30, 2015 at 6:25pm

आदरणीय शशी जी,हार्दिक बधाई!आज के दौर में ईमानदार और मेहनती लोग इसलिए पिछड जाते हैं कि वो चापलूसी नहीं कर पाते! 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2015 at 1:27pm

आदरणीय शशि जी इस सुंदर लघु कथा के माध्यम से आपने बड़ी कथा कह दी ..गागर में सागर ..के लिए तहे दिल बधायी सादर 

Comment by विनोद खनगवाल on July 28, 2015 at 5:27pm

आदरणीया शशि बंसल जी, भावनात्मक तौर पर कथा अपना संदेश देने में सफल रही है इसके लिए बधाई स्वीकार करें। इस लघुकथा पर कुछ तकनीकी पक्ष पर भी आपका ध्यान दिलाना चाहूँगा। लघुकथा विधा के पितामह आदरणीय योगराज जी के अनुसार लघुकथा को अलग अलग काल खंडों में विभाजित नहीं करना चाहिए। नहीं तो लघुकथा लघुकथा नहीं रह जाती है। लघुकथा किसी एक समय में घटी घटना या दुर्घटना से ही बनती है लेकिन यह कथा दो खंडों में विभाजित हो गई है।
//"और झटको मेरा हाथ।" को //'और झटको मेरा हाथ।'// में बंद किया जाना चाहिए क्योंकि यह डायरेक्ट संवाद नहीं है।

Comment by kanta roy on July 28, 2015 at 9:06am
बहुत ही लाजवाब रचना शशि जी ...... बहुत खूब चुभन दिया है आपने अपने पात्रा में

लेकिन अनीता में दम है कि वो अपने को साबित कर सकती है । इन्ही तजुर्बे के आधार पर वो फिर बनायेगी अपना अगला प्रोजेक्ट और इस बार वह बेहद सतर्क होकर ही कदमों में अपने जीत दर्ज करायेगी ।

क्षमताएं कभी भी हताश नहीं होती है । वो चौंक उठी है जरूर जरा सी, लेकिन जल्दी ही योग्यता अपना मुकाम हासिल कर के ही दम लेगी ।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on July 27, 2015 at 9:49pm

आदरणीया शशि जी, बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 27, 2015 at 8:50pm

आदरणीया शशिजी आपनेे कॉरपोरेेट के घिनौने रुप को खूब बयाँ किया है बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2015 at 10:32am

लघु कथा पढ़ते ही हमे भी एक चुभन सी महसूस हुई एक मेहनती इंसान के लिए कितना बड़ा शोषण है ये लघु कथा अपना सन्देश छोड़ने में कामयाब है हर फील्ड में सतर्कता बहुत जरूरी है |बहुत बहुत बधाई शशि बंसल जी 

Comment by Archana Tripathi on July 27, 2015 at 1:07am
कार्यक्षेत्र मे शोषण का उत्तम उदाहरण हैं।घर से बाहर स्त्री के स्त्री होने का फायदा आज के इंटरनेट के युग में भी उठाया जा रहा हैं जिसके लिए स्त्री को सशक्त कदम उठाने की आवश्यकता हैं न की कमजोर पड़ने की ।
उत्तम लघु कथा हार्दिक बधाई शशि बंसल जी ।

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