For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" ये कैसा बकवास प्रोजेक्ट तैयार किया है । छोड़ो , तुमसे न होगा ।अब सुरेखा ही इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी । " कहते हुए प्रोजेक्ट की ' हार्ड कॉपी 'अनीता के बॉस ने अपने पास रख ली ।
आज सुरेखा को उस प्रोजेक्ट को प्रजेंट करना था । प्रोजेक्टर पर प्रजेंटेशन चल रहा था , अनीता विस्मित हो मामूली हेर-फेर से अपने ही प्रोजेक्ट पर तालियों की चुभन महसूस कर रही थी ।सहसा उसकी नज़रें बॉस की ओर घूम गईं , जो शरारती अंदाज़ में कह रही थीं , " और झटको मेरा हाथ ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 30, 2015 at 6:25pm

आदरणीय शशी जी,हार्दिक बधाई!आज के दौर में ईमानदार और मेहनती लोग इसलिए पिछड जाते हैं कि वो चापलूसी नहीं कर पाते! 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2015 at 1:27pm

आदरणीय शशि जी इस सुंदर लघु कथा के माध्यम से आपने बड़ी कथा कह दी ..गागर में सागर ..के लिए तहे दिल बधायी सादर 

Comment by विनोद खनगवाल on July 28, 2015 at 5:27pm

आदरणीया शशि बंसल जी, भावनात्मक तौर पर कथा अपना संदेश देने में सफल रही है इसके लिए बधाई स्वीकार करें। इस लघुकथा पर कुछ तकनीकी पक्ष पर भी आपका ध्यान दिलाना चाहूँगा। लघुकथा विधा के पितामह आदरणीय योगराज जी के अनुसार लघुकथा को अलग अलग काल खंडों में विभाजित नहीं करना चाहिए। नहीं तो लघुकथा लघुकथा नहीं रह जाती है। लघुकथा किसी एक समय में घटी घटना या दुर्घटना से ही बनती है लेकिन यह कथा दो खंडों में विभाजित हो गई है।
//"और झटको मेरा हाथ।" को //'और झटको मेरा हाथ।'// में बंद किया जाना चाहिए क्योंकि यह डायरेक्ट संवाद नहीं है।

Comment by kanta roy on July 28, 2015 at 9:06am
बहुत ही लाजवाब रचना शशि जी ...... बहुत खूब चुभन दिया है आपने अपने पात्रा में

लेकिन अनीता में दम है कि वो अपने को साबित कर सकती है । इन्ही तजुर्बे के आधार पर वो फिर बनायेगी अपना अगला प्रोजेक्ट और इस बार वह बेहद सतर्क होकर ही कदमों में अपने जीत दर्ज करायेगी ।

क्षमताएं कभी भी हताश नहीं होती है । वो चौंक उठी है जरूर जरा सी, लेकिन जल्दी ही योग्यता अपना मुकाम हासिल कर के ही दम लेगी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 27, 2015 at 9:49pm

आदरणीया शशि जी, बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 27, 2015 at 8:50pm

आदरणीया शशिजी आपनेे कॉरपोरेेट के घिनौने रुप को खूब बयाँ किया है बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2015 at 10:32am

लघु कथा पढ़ते ही हमे भी एक चुभन सी महसूस हुई एक मेहनती इंसान के लिए कितना बड़ा शोषण है ये लघु कथा अपना सन्देश छोड़ने में कामयाब है हर फील्ड में सतर्कता बहुत जरूरी है |बहुत बहुत बधाई शशि बंसल जी 

Comment by Archana Tripathi on July 27, 2015 at 1:07am
कार्यक्षेत्र मे शोषण का उत्तम उदाहरण हैं।घर से बाहर स्त्री के स्त्री होने का फायदा आज के इंटरनेट के युग में भी उठाया जा रहा हैं जिसके लिए स्त्री को सशक्त कदम उठाने की आवश्यकता हैं न की कमजोर पड़ने की ।
उत्तम लघु कथा हार्दिक बधाई शशि बंसल जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service