For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पानी का मोल (लघुकथा)

पूरे गॉव में करन सिंह ही एक मात्र धींवर था! वह कुछ गिने चुने परिवारों का ही पानी भरता था! वह चार घर ठाकुरों के,चार घर ब्राह्मणों के और दो घर बनियों के पानी ले जाता था! गॉव में तीन कुंऐ थे! एक बडा कुंआ ठाकुर भूप सिंह की हवेली के अहाते में था,जिससे केवल तीन ऊंची जाति,ठाकुर,ब्राह्मण और बनियां, इन्हीं लोगों का पानी जाता था! दूसरा कुंआ चमारों का था तथा तीसरा भंगिओं का ! करन सिंह का बेटा रेलवे में अफ़सर बन गया था!बेटे ने दवाब डाला तो करन सिंह ने गॉव में पानी भरना बंद कर दिया! अगले दिन करन सिंह भोर होते ही बाल्टी रस्सी ले कर कुंए पर चढ ही रहा था कि ठाकुर के लठैत ने रोक लिया!

"काहे काका ,किसका पानी भरने आये हो"!

"अपना, भाई और किसका"!

"ये कुंआ क्या तुम्हारे पुरखों ने बनवाया है"!

"नहीं भैया,उनकी ऐसी हैसियत कहां"!

"तो फ़िर काका ,यहां से तो पानी ठाकुर साहब की मर्ज़ी से ही मिलेगा “!

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 30, 2015 at 6:20pm

आदरणीय डा प्राची सिंह  जी,सौरभ पांडे जी,महर्षि त्रिपाठी जी, प्रतिभा पांडे जी,आप सभी जनों का हार्दिक आभार जो आपने लघुकथा को समय दिया और सराहा!साथ ही समय पर धन्यवाद नहीं दे सका,नेट प्रोबलम के कारण अतः क्षमा चाहता हूं!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2015 at 10:51pm

वर्ण व्यस्था की विकृति इस रूप में आज भी स्वतंत्र भारत में व्याप्त है.
प्राकृतिक स्त्रोतों का बाँट दिया जाना एक तरफ ...
पर उफ़ ये उच्च वर्ण का अहंकार ..जो जीवन भर जल निकाले..जब तक गुलाम तब तक स्वीकार्य पर जहां स्वाभिमान की ज़िन्दगी जीने के लिए सर उठाए ..तो लठैतों का सामना
अच्छी लघुकथा हुई है
हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2015 at 4:40pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, वैसे आपकी इस प्रस्तुति को ’सफल प्रस्तुति’ का सर्टिफिकेट मिल गया है, अतः विशेष कहना उचित नहीं. अलबत्ता आप एक रचनाकार के तौर पर अपने अन्य पाठकों, विशेषकर भाई महर्षिजी से, अवश्य जानने की कोशिश कीजियेगा कि उनकी दृष्टि में ’सफल लघुकथा’ के मानक क्या हैं. अन्यथा, आप भी मुग्ध हुए सतत रचनाकर्म करते रहेंगे और अन्य सुधी पाठकों को कई बातें समझ में नहीं आयेंगी. चूँकि, ऐसा भाईजी होता रहा है, अतः साझा कर रहा हूँ.
सादर

Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 9:43pm

इतने  समय सेवा करने के बाद भी  उससे ऐसा व्यवहार ,सही है उसे पानी का मोल नही मिला |सफल लघुकथा पर आपको हार्दिक बधाई आ. TEJ VEER SINGH जी |

Comment by pratibha pande on July 22, 2015 at 8:17pm

ये जातिवाद  हमारे देश का बरसों से रिसता चला आ रहा घाव है , और अपने अपने फायदे के लिए हर कोई इसे अपने अपने तरीके से कुरेदता है , और भरने नहीं देता I बधाई इस सशक्त रचना के लिए आ० तेज वीर जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service