For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्लेषण

 

फिर आज समय  है विश्लेषण का 

क्या खोया क्या पाया हमने 

क्या अपराधी नहीं बने हम 

विस्मृत कर बापू के सपने  

 

डटे रहे जो निर्भय रण में

सत्य अहिंसा का संबल ले

डिगे तनिक न सत्य मार्ग से

अविजित दुरूह आत्मबल ले

 

पर उनकी संतान आज 

सब  भूल रही है 

विचलित औ ' पथ भ्रष्ट 

अधर में झूल रही है  

 

स्वर्णिम भारत के सब सपने

पिघल रहे हैं

धनिक आज निर्धन का हिस्सा

निगल रहे   हैं  

 

धर्मं जाति हमको अबतक

कितना बाँट चुके  हैं

साम्प्रदायिकता  के दीमक  सारा

भारत चाट चुके   हैं

 

किसी क्षुधित की पीड़ा   से

हम होते नहीं तनिक विचलित

मंदिर - मस्जिद के झूठे भेद

अब हमको करते चिंतित

 

 

धर्मं जाति के नाम पर हम

रक्त बहा सकते हैं

निर्दोषों  के खून   से

बेख़ौफ़ नहा सकते हैं

 

काश ! क्षुद्र -तुच्छ बातों पर

अपने अपनों से लड़े नहीं    

सदिया बीती संग -संग रहते 

पर ह्रदय ह्रदय से जुड़े नहीं  

 

  अपना लक्ष्य  भूल गए

ऐसे भटके पथ क्यूँ कर

ह्रदय के बंद पट खोलो

बहे हवा मन को छूकर

 

बीते बरसों कितना खोया 

तन से , धन से , अंतर्मन से

टूटे मन आओ फिर जोड़े 

करें सत्य संकल्प ह्रदय से  

(तनूजा उप्रेती)

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

  

Views: 417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on July 22, 2015 at 7:29pm

आभार मैम


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2015 at 7:06pm

धर्मं जाति हमको अबतक

कितना बाँट चुके  हैं

साम्प्रदायिकता  के दीमक  सारा

भारत चाट चुके   हैं

 

किसी क्षुधित की पीड़ा   से

हम होते नहीं तनिक विचलित

मंदिर - मस्जिद के झूठे भेद

अब हमको करते चिंतित

 बहुत सुन्दर भाव हैं कविता में तनूजा जी,हमेशा की तरह सशक्त रचना हुई है दिल से बधाई काश गाँधी जी ने ही उस वक्त दो भाइयों को अलग न होने दिया होता थप्पड़ मारकर चुप कर दिया होता तो आज शायद ये इतना अलगाव न होता दो धर्मों में इतनी नफरतें न होती खैर ये मेरी निजी सोच है जिसका इस रचना से कोई लेना देंना नहीं मैं आपकी भावनाओं की कद्र करती हूँ तथा दिल से इस कविता पर बधाई देती हूँ | 

Comment by Tanuja Upreti on July 17, 2015 at 6:54am
धन्यवाद मिथिलेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 10:28pm

आदरणीया तनूजा जी बहुत सुंदर रचना हुई है इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Tanuja Upreti on July 16, 2015 at 4:03pm

सर्वथा सत्य कहा आदरणीय मोहन सेठी जी

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 16, 2015 at 3:51pm

आदरणीया तनूजा जी इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई ....करना तो चाहते हैं मगर कुछ लोग होने नहीं देना चाहते ...स्वार्थ बस स्वार्थ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service