For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

पढाया गया था-

‘मैन इज ए सोशल एनिमल’

हमने भी रट लिया

औरों की तरह

पर मन नहीं माना

कहाँ पशु और कहाँ हम

पर एक दिन जाना

पक्षी और पशु

दोनों ही बेहतर है

हम जैसे मानव से

क्योंकि 

भूख सबको लगती है 

पर पक्षी

न घुटने टेकता है

और न हाथ फैलाता है

रोता भी नहीं

गिडगिडाता भी नहीं  

हाथ तो मित्र

पशु भी नहीं फैलाते  

बल्कि वे भौंकते है

या फिर गुर्राते है

पर हम -----?

हम तो मानव हैं 

प्राणि शिरोमणि

हम क्या करते हैं

क्या कर सकते है

वह भी नहीं जानता


(मौलिक्व अप्रकाशित )

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 2:05am

बात की बात में व्यंग्य हो गया ! आदरणीय हार्दिक धन्यवाद ..

शुभ-शुभ

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 2, 2015 at 7:10pm

आदरणीय विजय शकर जी के विचार से सहमत आदरणीय गोपाल नारायण जी ... कविता का विषय बिलकुल नया!

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:05pm

हम तो मानव हैं 

प्राणि शिरोमणि

हम क्या करते हैं

क्या कर सकते है

वह भी नहीं जानता,,,,,,,,,,,वाह !! यही सब बयां कर रहा है |बधाई आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर जी |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 2, 2015 at 2:34pm

वाह आदरणीय यथार्थ कहा आपने! मनुष्य  प्राणी शिरोमणि तब तक नही जब तक अपने जीवन का भार वह उतर न लें!नमन!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 2:23pm

आदरणीय गोपाल सर ..जबर दस्त व्यंग्य के माध्यम से आपने सारी पोल खोल दी ..हमें तो जानवरों से सीखना चाहिए ..इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by kanta roy on July 2, 2015 at 9:04am
वाह !!!! मन को सुखद लगा मन आनंद लगा स्वंय को प्राणी शिरोमणि पाकर । सच ही है हम है घुटने टेकने वाला वक्त के आगे चंद रोटी की भूख ..? नहीं हमारी भूख बहुत बडी है ... अनंत तक ... इसलिए हम प्राणी शिरोमणि ही है .... बेहद उम्दा रचना आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ... बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 2:39pm

गज़ब का व्यंग्य 

बहुत बढ़िया कविता 

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर  कविता बहुत सुन्दर हुई है, हार्दिक बधाई, सादर.....

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 30, 2015 at 11:55pm
मनुष्य की यही तो विशेषता है कि वह हर चीज़ का उपयोग करना जनता है, पशु -पक्षी क्या , वह मनुष्य का भी इस्तेमाल कर लेता है। भोजन के लिए पशु- पक्षी एक निर्धारित उद्योग करते हैं , सारा ज्ञान-विज्ञान उसी से बचने और बिना उद्योग के भोजन और सुविधाएं प्राप्त करना होता है।
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , कविता बहुत सुन्दर है , बधाई , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2015 at 11:46am

सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें

 सादर...........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
49 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service