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आज का समाचार (लघु कथा) // शुभ्रांशु पाण्डेय

“अरे, पेपर कहाँ है ?” - राजेश ने पूछा.
“तुम्हे भी नहीं पता ? मुझे लगा हमेशा की तरह ले कर चले गये होगे फ़्रेश होने. कितनी बार कहा है सबसे बाद में पढा करो. तुम्हारे बाद कोई छूना नहीं चाहता है उसे.” 
“कान्ता बाईऽऽऽ.. पेपर आया था आज ?” - संगीता चीखी.
“हां, मैने पेपर ले कर बेड पर रख दिया है..” 

उधर बेड पर नन्हा चुन्नू पेपर ’पढ़ने’ में लगा था.

पहला पन्ना फ़्लिपकार्ट का ऐड था, जो बिस्तर के एक कोने में पडा़ था. हेड लाइन.. . सरकार ने भ्रष्टाचारियों पर… इसके आगे सुबह का पीया हुआ दूध उल्टी की शक्ल मे रिसते हुए स्पोर्टस पन्ने पर बीसीसीआई के अफ़्रीकी अकाउण्ट और उसके लेन-देन तक पहुँच गया था. शेयर बाजार तो कब का चुन्नू के प्रयासों से दो फाड़ हो चुका था. एडिटोरियल के तीखे सवालों पर अब चुन्नू बिना चड्डी दम लगा रहा था. थोडी-बहुत सफलता मिल भी गयी थी. शहर और आस-पास की खबरें उसके दम के पहले रिसाव से ही गीली हो चुकी थीं.
कान्ता बाई ने पेपर और चुन्नू दोनों को धीरे से उठाया. अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों से चुन्नू के पिछवाड़े की सफाई की और आज के ’देश’ ही नहीं समूचे ’विश्व’ को बाहर के डस्टबीन में डाल दिया. 

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(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by वीनस केसरी on June 23, 2015 at 1:06am

वाह बढ़िया लघु कथा है ...

व्यंग्य की पैनी धार ने आपके हास्य व्यंग्य लेखों की याद दिला दी ...
लघुकथाओं की नौकरी बजाईये मगर सन्डे तो लेख के लिए आरक्षित कीजिये

Comment by विनय कुमार on June 22, 2015 at 8:25pm

वाह , वाह , बहुत उम्दा | // कान्ता बाई ने पेपर और चुन्नू दोनों को धीरे से उठाया. अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों से चुन्नू के पिछवाड़े की सफाई की और आज के ’देश’ ही नहीं समूचे ’विश्व’ को बाहर के डस्टबीन में डाल दिया.// जबरदस्त व्यंग , बहुत बहुत बधाई आदरणीय.

Comment by kanta roy on June 22, 2015 at 6:15pm

वाह !!! क्या खूब लघुकथा हुआ है यह .... बधाई

Comment by shashi bansal goyal on June 22, 2015 at 4:04pm

आद0 शुभ्रांशु जी बहुत उच्च स्तर की रचना है । इतनी गम्भीर बात बहुत ही हलके फुल्के अंदाज में कह गए जैसे सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे । आपकी इस विशिष्ट शैली से बहुत प्रभावित हुई । बधाई इस उत्कृष्ट रचना पर ।सादर ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 22, 2015 at 12:57pm
अवमूल्यन का सही मूल्यांकन. बहुत बहुत बधाई , आदरणीय सुभ्रांशु पांडे जी , सादर।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 22, 2015 at 12:37pm

बेहद सटीक लघुकथा है आदरणीय शुभ्रांशु जी, चुन्नू और कान्ताबाई के माध्यम से मीडिया और सरकार की जो खबर ली है उसके बारे में जितना लिखूँ उतना कम है। बहुत बहुत बधाई


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Comment by rajesh kumari on June 22, 2015 at 11:05am

कान्ता बाई ने पेपर और चुन्नू दोनों को धीरे से उठाया. अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों से चुन्नू के पिछवाड़े की सफाई की और आज के ’देश’ ही नहीं समूचे ’विश्व’ को बाहर के डस्टबीन में डाल दिया. हाहाहा हाहाहा ...:)))))) चित्र से काव्य तक में यदि लघु कथाएं भी शामिल होती तो ये लघु कथा अपनी विजयी पताका फहरा चुकी होती.मजा आ गया  पढ़ के क्या जबरदस्त हास्य का तड़का है लघु कथा में वाह्ह्ह वाह ...हार्दिक बधाई शुभ्रांशु जी . 

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