For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"पहले तो हमें नौकरी ही नहीं मिलती। अगर मिल भी जाए तो सालों साल रगड़ते रहो, कोई प्रमोशन नहीं। और एक ये हैं ?"

"और लो जन्म ऊँची जात में।"

पिघले हुए सीसे की तरह ये शब्द उसके कानों में उतर रहे थे । 

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saras darbari on June 3, 2015 at 9:52am

सटीक ...गागर  में  सागर ..!!!

Comment by विनय कुमार on June 2, 2015 at 11:45pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी..

Comment by विनय कुमार on June 2, 2015 at 11:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , सच में ये सब बातें बस में नहीं हैं..

Comment by maharshi tripathi on June 2, 2015 at 10:35pm

कम सब्दों में अच्छी सीख आ.vinaya kumar singh जी |

+

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 2, 2015 at 9:46pm

आ० या तो टर्न की बात है . अंग्रेजों के राज में ऊंची जाती वाले मलाई  खाते ते अब और लोग खा रहे है .एक्सीडेंट ऑफ़  बर्थ  किसी के बस में नहीं ------------भाग्यम फलतु  सर्वत्र न च विद्या न च पौरुषम ---- जय हो ----कथा में अंतिम वाक्य आवश्यक नहीं  था . सादर

Comment by विनय कुमार on June 2, 2015 at 9:29pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी | जी हाँ , बहुत से अन्य विषय / परिपाटी इत्यादि हैं जिनपर लिखा जा सकता है , सहमत हूँ आपसे , सादर .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2015 at 2:03pm

भाई जन्म लेना हाथ में तोनहीं है. सामाजिक व्यवहार, आचरण, परिपाटियों, परम्पराओं को कुछ बेहतर लानत भेजी जा सकती है.  वैसे ऐसे केस कई बार एकांगी ही सोचे लगते हैं. अतः चर्चा-परिचर्चा की गुंजाइश बनी रहती है.

प्रस्तुति केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service