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प्यासी देह .....

मन की कंदराओं में किसने .......
अभिलाषाओं को स्वर दे डाले .......
किसकी सुधि ने रक्ताभ अधरों को ......
प्रणय कंपन के सुर दे डाले//

मधुर पलों का मुख मंडल पर ........
मधुर स्पंदन होने लगा .........
मधुर पलों के सुधीपाश में ........
मन चन्दन वन होने लगा//

नयन घटों के जल पर किसकी .......
स्मृति से हलचल होने लगी ........
भाव समर्पण का लेकर काया .......
मधु क्षणों में खोने लगी//

किसको छूकर हृदय द्वार पर .......
पवन ने दस्तक दे डाली ......
नृत्य भाव में मग्न हो गयी ......
प्यासी देह की हर डाली//

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित



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Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:52pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:51pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:50pm

आदरणीय  Ayub Khan "BismiL जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:48pm

आदरणीय aman kumar जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:47pm

 आदरणीय जितेन्द्र जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 16, 2015 at 4:35pm

आदरणीय Sushil Sarna जी लाजवाब रचना के लिये बधाई ...सादर 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 16, 2015 at 2:52pm

SUNAR BHAV POORN RACHNAA - BADHAEE MTIRA

Comment by kanta roy on May 16, 2015 at 12:01pm
मन की कंदराओं में ..... अभिलाषाओं को स्वर दे जाने का भाव ..... प्रणय के क्षण की कोमल अनुभूति का अति सुंदर चित्रण .... कवि की इस अविरामी कविता के लिए ढेरों बधाइयां ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 16, 2015 at 11:26am

वाह!,मन के भावों को बहुत ही सुन्दर शब्द मिलें है..हार्दिक  बधाई  आदरणीय सुशील जी सादर!

Comment by shree suneel on May 15, 2015 at 11:57pm
नयन घटों के जल पर किसकी .......
स्मृति से हलचल होने लगी ........
भाव समर्पण का लेकर काया .......
मधु क्षणों में खोने लगी//वाहह..!
सम्पूर्ण रचना सुन्दर भाव से पूरित..
आदरणीय सुशील सरना सर, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

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