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ये मय भी कडवी है सच की तरह

१२१  २२ १२१  २२

यूं कतरा कतरा शराब पीकर

हैं जिन्दा अब तक जनाब पीकर

सवाल मुश्किल थे जिन्दगी के

मगर दिए सब जवाब पीकर

ये मय लगी  कडवी सच के जैसी 

न कह सका मैं  ख़राब पीकर

पहाड़ सीने पे दर्दो गम के

नहीं रहा कोई दवाब पीकर

जिन्हें मयस्सर न रोटियाँ थीं 

वो बन गए थे  नवाब पीकर

था खौफ आँखों में डूबने का

हटाया रुख से नकाब पीकर

बिना पिए ही था जो क़यामत

मचल उठा वो शबाब पीकर

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 21, 2015 at 10:17am

आदरणीय वीनस जी ..आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हमेशा ही नया सीखने को मिलता है रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से धन्यवाद सादर 

Comment by वीनस केसरी on May 16, 2015 at 1:18am

नहीं रहा कोई दवाब पीकर

इस मिसरे के अतिरिक्त पूरी ग़ज़ल बेहतर हुयी है ...... कोई को २२, १२, २१ तीन तरह से बाँधा जा सकता है आपने २ मात्रा में बाँध लिया है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:18am

आदरणीय श्री सुनील जी ..रचना पर आपकी उर्जा देती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:17am

आदरणीय केवल भाई जी   रचना आपको पसंद आयी ..आपके इन शब्दों से मेरा उत्साह  बढ़ा है ..सादर धन्वाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:15am

आदरणीय समर कबीर जी .गलती से दवाब लिख गया आदरणीय सौरभ सर और आदरणीय वीनस जी भी मुझे कई बार इस तरह की गलतियों के लिए सचेत कर चुके हैं  क्षमा प्रार्थी हूँ इस ज़ल्दबाजी के लिए ..कभी यदि आगे ऐसी भूल हो जाए तो आप मुझे इसी तरह सचेत करियेगा ..आपके मार्गदर्शन और प्रतिक्रिया के लिए पुनः धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:10am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब आप सही कह रहे हैं दबाव की जगह गलती से दवाब हो गया ,,मशविरे के लिए हार्दिक धन्यवाद रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए आपको धन्यवाद सादर प्रणाम के साथ 

Comment by shree suneel on May 13, 2015 at 11:18pm
सवाल मुश्किल थे जिन्दगी के
मगर दिए सब जवाब पीकर/
वाहह...आदरणीय आशुतोष जी, ख़ूबसूरत शे'र. अच्छी ग़ज़ल कही आपने. बधाई आपको
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 8:43pm

आ0 आशुतोष भाई जी, गज़ल अच्छी लगी. दिली दाद कुबूल करे. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 13, 2015 at 6:46pm

आदरनीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

आ. समर भाई जी सही कह रहे हैं शायद आप दबाव कहना चाह रहे हैं चौथे शे र में म देख लीजियेगा ॥

Comment by Samar kabeer on May 13, 2015 at 6:19pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी ,आदाब,आपने लिखा है "दवाब" ,एक शब्द होता है "दबाव" ,क्या आपने दबाव को ही दवाब लिखा है या ये कोई और शब्द है ?

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