For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मुसीबत में ही याद आते हैं राम

122-122-122-121

ये महँगाई जो बढ़ रही बेलगाम
हमारा तो जीना हुआ है हराम

तिज़ारत में हासिल महारत जिसे
उसे गुठलियों के भी मिलते हैं दाम

न जाने सभी की ये फितरत है क्यूँ
मुसीबत में ही याद आते हैं राम

रखे जो सदा हौसला और उमीद
उसी के ही दुनिया में बनते हैं काम

इसे सिर्फ़ वोटों से मतलब 'दिनेश'
सियासत कहाँ करती फ़िक्रे अवाम

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on April 9, 2015 at 7:20pm
शुक्रिया आदरणीय भाई शिज्जू जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2015 at 7:13pm

आदरणीय दिनेश जी बड़ी सुंदर रवाँ ग़ज़ल कही है दिली दाद कुबूल फरमायें

Comment by दिनेश कुमार on April 9, 2015 at 7:04pm

अदना से प्रयास की सराहना करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर जी। बह्र की बाबत आप ने मार्गदर्शन किया, बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय।

Comment by दिनेश कुमार on April 9, 2015 at 7:02pm
बहुत शुक्रिया भाई krishna mishra 'jaan'gorakhpuri साहब।
Comment by दिनेश कुमार on April 9, 2015 at 7:01pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय Shyam Mathpal जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 8, 2015 at 12:09am

इस सुन्र् प्रयास पर दाद कुबूल करे, दिनेश भाई ..

बहर के वज़न का आखिरी लाम मेन्शन करना कोई आवश्यक नहीं. आपने कई उलाओं में इसे नहीं निभाया है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 10:40am

सुन्दर गजल पर,दिली दाद कबोल करें! आदरणीय!

Comment by Shyam Mathpal on April 6, 2015 at 8:12pm

Aa.dinesh ji,

Bahut sundar .Hardik badhai.

Comment by दिनेश कुमार on April 6, 2015 at 7:40pm
अदना से प्रयास की सराहना करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी। आप बिल्कुल ठीक कहते हैं कि किसी भी बह्र में अंतिम मात्रा १ नहीं होती। मेरी जानकारी बहुत सीमित है आदरणीय और न ही मात्रा लिखते समय इसके बारे में सोचा। अब आप के द्वारा ध्यान दिलाने जाने पर सोचा कि वाकई आखिरी मात्रा १ नहीं होती। गलती सुधारने के लिए आप का बहुत आभारी हूँ सर। भविष्य में भी आशीष बनाए रखिएगा सर जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 7:26pm
हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service