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ग़ज़ल :-सभी कहते हैं अच्छा बोलता है

बह्र:- फ़ऊलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

सभी कहते हैं अच्छा बोलता है
जो हम बोलेंगे तोता बोलता है

हमारा काम क्या उन महफ़िलों में
जहाँ दौलत का नश्शा बोलता है

कोई लोरी सुनाओ,गीत गाओ
अधूरा एक सपना बोलता है

ज़रा महकी हुई ज़ुल्फों की ठंडक
कई रातों का जागा बोलता है

मैं सच्चाई की बातें कर रहा हूँ
समझते हैं दिवाना बोलता है

तिरी शक्ति है अपरम पार मौला
तिरे आगे तो गूंगा बोलता है

छुपाए से नहीं छुपती हक़ीक़त
ज़बाँ चुप हो तो चहरा बोलता है

बंधे हैं एकता की डोर से हम
गवाही में तिरंगा बोलता है

कोई महमान आने को है शायद
हमारी छत पे कौआ बोलता है

ग़ज़ल कहना नहीं है खेल कोई
सुना तुमने ,"समर" क्या बोलता है

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Samar kabeer on April 5, 2015 at 3:12pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत का इन्तिज़ार था,हौसला.अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 5, 2015 at 3:02pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत होते ही दिल को सुकून मिल जाता है,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 5, 2015 at 2:59pm
जनाब निर्मल नदीम जी,आदाब,किसी ने क्या ख़ूब कहा है :-
"मैं नूर बनके फ़ज़ाओं में फैल जाऊँगा
तुम आफ़ताब में कीड़े निकालते रहना" |
Comment by Nirmal Nadeem on April 5, 2015 at 10:43am
भाई साहब। जो बहर आपने बताई वो मैंने आज तक कहीं नहीं देखा। । रही बात मिसरे की तो मैंने साफ लिखा है कि लोग इसतरह भी लिखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि ऐसे नहीं होना चाहिए। ये शब्दों का सिर्फ तोडना है और कुछ नहीं । हिंदी के शब्द को हिंदी की तरह लिया जाय तो अच्छा लगता है। बाकि बात आपके उम्र या आपके उस्तादों के विषय में तो मुझे कुछ नहीं मालूम। आप अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं। शुक्रिया।
Comment by दिनेश कुमार on April 5, 2015 at 9:18am
आदरणीय समर कबीर सर जी, लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने, पढ़ कर मजा आ गया। हर अशआर बहुत खूब। मेरी तरफ से भी ढेरों दाद व मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 5, 2015 at 1:10am

आदरणीय समर कबीर जी आपकी ग़ज़लों से हमेशा सीखता हूँ. बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है, एक एक अशआर उम्दा हुआ है. छोटी बह्र में क्या खूब अशआर निकाल लाये है आप, झूम गया हूँ पढ़कर. 

ग़ज़ल कहता गज़ब है खूब दिलकश 

मेरे दिल की 'समर' ही बोलता है 

Comment by Samar kabeer on April 4, 2015 at 11:13pm
जनाब नीरज कुमार "नीर" जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 4, 2015 at 11:11pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 4, 2015 at 11:08pm
जनाब उमेश कटारा जी,आदाब,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 4, 2015 at 11:06pm
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |

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