For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तिनका तिनका तार तार

गौर से देखो रेगिस्तान को 
मीलों दूर तक
बिखरा पडा है
अपनी सुन्दरता सँवारे हुये
कितनी सदियों से 
आँधी तूफानों से
अनवरत लडा है
कई बार साजिशें हुयीं है
सहरा की धूल को 
दूर उडा ले जाने की 
इसके अस्तित्व को 
हमेशा के लिये 
मिटाने की
पानी के लिये 
प्यासा ही जी रहा है
पानी ने भी कसर नहीं छोडी है
इसे बहाकर दूर ले जाने में 
कई बार गुजरा है 
इसके वक्ष स्थल से होकर
मगर रेगिस्तान का 
स्वाभिमान तो देखिये
चाहता तो सोख जाता 
समन्दर को
डुबो लेता खुद के अन्दर 
मगर गुजर जाने देता है 
दरिया के तूफान को 
नहीं पीता है 
पानी की बूँद तक भी 
अमर है रेगिस्तान
अमर है इसकी सुन्दरता 
अमर है इसका
तिनका तिनका तार तार
बिखर जाना 
जिसका प्रमाण है 
कितने ही युगों से
हजारों मील तक फैला रेेगिस्तान
मुझे भी 
अच्छा लगा इसी तरह 
बिखर जाना 
और मैं बिखर गया 
तिनका तिनका तार तार
अब लगने लगा हूँ शायद
पहले से ज्यादा सुन्दर
देखता हूँ खुद को खुद ही
अपने बिखरे हुये टुकडों में
बार बार


उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित



Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 21, 2015 at 6:23pm

शुक्रिया आदरणीयmaharshi tripathi जी

Comment by maharshi tripathi on March 21, 2015 at 5:26pm

अच्छी प्रस्तुति आ. umesh katara जी |

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:31pm

शुक्रिया आदरणीय Nidhi Agrawalजी

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:30pm

शुक्रिया आदरणीय pratibha tripathiजी

Comment by Nidhi Agrawal on March 20, 2015 at 4:43pm

मुझे भी 
अच्छा लगा इसी तरह 
बिखर जाना 
और मैं बिखर गया 
तिनका तिनका तार तार

- उफ़ बहुत ही खूबसूरत भाव उमेशजी 

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:05am

शुक्रिया आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:04am

शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश वामनकरजी

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:04am

शुक्रिया आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी

Comment by umesh katara on March 20, 2015 at 8:04am

शुक्रिया आदरणीयHari Prakash Dubey जी

Comment by Hari Prakash Dubey on March 19, 2015 at 11:52pm

अब लगने लगा हूँ शायद
पहले से ज्यादा सुन्दर
देखता हूँ खुद को खुद ही
अपने बिखरे हुये टुकडों में
बार बार......वाह , हार्दिक बधाई आपको आदरणीय उमेश जी ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
38 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
48 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service