For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गीत- निर्मल नदीम

मेरे घर का सूना आँगन सूना - सूना ही रह जाता
अगर तुम्हारे पग पायल की मधुर मधुर झंकार न होती।

तुमने पाँव रखा जैसे ही
मुर्दे दिल में जान आ गयी;
ज़र्द फूल के रुखसारों पर
लाली बनकर ख़ुशी छा गयी,
यह चांदनी जलन बन जाती, ठण्डी छाँव चुभन बन जाती,
अगर न तुम जुल्फ़ें लहराती, शीतल पड़ी फुहार न होती।

जलने लगे स्वतः दीपक सब
लगा महकने कोना - कोना,
कंकड़ - पत्थर, हीरे - मोती,
लगे मृत्तिका सच्चा सोना,
मुक्त गगन के चाँद सितारे, उतर गए आँगन में सारे,
अगर न तुम होती सपनों की छाया तक साकार न होती।

घाव हृदय का भर तो जाता
पर निशान रह जाता बाकी,
आंसू भी थम जाते लेकिन
आदत पड़ जाती मदिरा की,
फूल धूल में सब झड़ जाते, रंग सुगंध सभी उड़ जाते,
अगर न तुम मुस्काती आती कोयल की मनुहार न होती।

अगर छलकते नहीं अश्रु तो
सारा जग वीराना होता,
और टूटते नहीं स्वप्न तो
झूठ हर अफ़साना होता,
अगर न मरती इच्छा प्यासी गीतों का फिर जन्म न होता,
अगर न सावन आता तो फिर गाती यहाँ बहार न होती।।

निर्मल शुक्ल "नदीम"
(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 11:22am

आप गूगल की ऑनलाइन सुविधा का लाभ ले सकते हैं. जैसाकि अधिकांश सदस्य करते हैं.

Comment by Nirmal Nadeem on March 18, 2015 at 11:10am

Aadarneey Saurabh Pandey sahab. devnagri me type karne ka tool maine laptop me install kiya hai lekin abhi kar nahi pa rha shayad kuchh samasya hai. sudhar kar lunga. dhanywaad.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 10:55am

आदरणीय भाई निर्मल नदीमजी, इस मंच पर बिना पढ़े वाह-वाह कोई सदस्य नहीं करता. यह अवश्य है कि लोग अन्यान्य सोशल साइट या आभासी-मंचों पर ऐसा करते हैं लेकिन आपके इस मंच पर ऐसा घटिया चलन नहीं है. आप इसके प्रति आश्वस्त रहें.
इस मंच पर अक्सर सदस्य रचना को पढ़ लेने के बाद ही अपनी समझ के अनुसार टिप्पणी देते हैं.

आपसे भी आग्रह है कि आप जितना शीघ्र हो देवनागरी फ़ॉण्ट में अपनी टिप्पणियाँ करना प्रारम्भ करें.
सादर

Comment by Nirmal Nadeem on March 18, 2015 at 10:42am

Adarneey saurabh Pandey ji bahut bahut dhanywaad. aabbhari hu aapka. aap logo ki wajah se hi post karne ka man karta hai, anytha bahut se log bina padhe hi waah waah kar dete hai. dhanywaad.

Comment by Nirmal Nadeem on March 18, 2015 at 10:40am

Aadarneey Naveen Mani Tripathi ji aabhari hu aapka. bahut bahut dhanywaad.

jahaa tak baat JHOOTH ki hai to wah typing mistake hai wah JHOOTHA hai. agar jhootha padha jaay to koi dosh nhi rah jayega...meri samajh se.

dusari baat jo aapne shabdo ki kii hai wah mujhe bhi thoda atpataa lag rha hai mai usko bhi badalne ka prayaas karunga. shukriya.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 6:04am

आपकी प्रस्तुति से आश्वस्त हुआ हूँ. गीत रचना एक कोमल विधा है. आपको शब्द-चयन पर सचेत रहने की आवश्यकता होगी. आदरणीय नवीन मणिजी की शिल्पगत या व्याकरण सम्मत बातों से मेरी भी सहमति है. किन्तु शब्दों के उर्दू-हिन्दी होने को लेकर उतना आग्रही नहीं होना चाहिये.
इस मंच पर प्रस्तुत गीतों-नवगीतों को देखने की कोशिश कीजियेगा.
आपकी इस प्रस्तुति पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 18, 2015 at 12:27am
आदरणीय भाई शुक्ल जी सुन्दर गीत हेतु बधाई ।
गीत में भाषा के मिश्रित प्रयोग से बचने का प्रयास हो तो इसकी मधुरता में चार चाँद लग जाता है अर्थात जुल्फे रुखसार अफसाना आदि शब्द गीत में यदि नहीं दिखाई पड़ते तो मेरी समझ से बेहतर होता।

आपने लिखा है मुर्दे दिल में जान आ गयी
यहां यदि मुर्दा दिल लिखा जाए तो ज्यादा उचित प्रतीत होता है ।

अगर छलकते नहीं अश्रु तो .......
इस दो पंक्ति में मात्रा दोष है इसेमें
झूठ हर अफसाना की जगह झूठ का हर अफसाना होता ये उचित होगा ।

उपरोक्त पर ध्यान देंगे तो गीत में सुधार हो जाएगा ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on March 17, 2015 at 11:45pm
निर्मल नदीम जी सुंदर गीत पर बधाई
Comment by Nirmal Nadeem on March 17, 2015 at 1:02pm

Bahut bahut aabhari hu aap sab ka ... dhanywaad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 16, 2015 at 9:58pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आपको .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
54 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service