Added by Nirmal Nadeem on May 13, 2015 at 7:45pm — 13 Comments
Added by Nirmal Nadeem on March 15, 2015 at 6:18pm — 16 Comments
गिरा के अपनी ही आँखों से खून काग़ज़ पर,
तलाश करता रहा दिल सुकून काग़ज़ पर.
जला के खाक ही कर दे जहान को आशिक़,
अगर उतार दे अपना जुनून काग़ज़ पर..
ग़ज़ल का एक भी मिसरा नहीं कहा मैनें,
थिरक रहा है किसी का फुसून काग़ज़…
Added by Nirmal Nadeem on February 25, 2015 at 12:00pm — 24 Comments
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